hinduswarajyasena

Thursday, October 28, 2010

पुलिस ने गवाह को थाने में बंद कर पीटा

Oct 25, 01:07 am पश्चिमी दिल्ली, जागरण संवाददाता :

पुलिस का विद्रूप चेहरा एक बार फिर सामने आया है। बिंदापुर इलाके में एक युवक को पुलिस वालों ने अपने खिलाफ गवाही देने पर जमकर पीटा। उसके साथ रहे दोस्त को भी नहीं बक्शा गया। इतना ही नहीं बात न मानने पर झूठे मामलों में फंसाने की धमकी भी दी।

करीब एक महीने पहले बिंदापुर इलाके में पुलिस वालों ने डंडा मारकर फल विक्रेता लियाकत अली का हाथ तोड़ दिया था। आरोप है कि पुलिस वाले लियाकत से पैसे मांग रहे थे। इस मामले में उत्ताम नगर निवासी शंकर गवाह है। शंकर का आरोप है कि शनिवार रात को वह किसी काम से बिंदापुर गया था। तभी उसके दोस्त इज्जत ने बताया कि रेहड़ी चालक इरफान को पुलिस ने पकड़ लिया है। इस पर दोनों मामले की जानकारी के लिए थाने पहुंचे। जैसे ही शंकर ने अपना परिचय दिया, हेड कांस्टेबल प्रहलाद सिंह भड़क उठा और शंकर से गाड़ी की चाभी और मोबाइल छीन लिया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने दोनों को थाने में बंद कर जमकर पीटा। इतना ही नहीं शंकर को धमकाते हुए गवाही न देने की बात कही। बात न मानने पर झूठे मामलों में फंसाने की धमकी भी दी। रविवार को पुलिस अधिकारियों को जब मामले की जानकारी मिली तो दोनों को छोड़ने का आदेश दिया गया। पुलिस अधिकारियों की माने तो रेहड़ी-पटरी लगाने वाले हमेशा मनमानी करते है। ऐसे में पुलिस जब सख्ती बरतती है, तो वह पुलिस वालों पर ही आरोप लगाना शुरू कर देते हैं।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आरएस कृष्णैया का कहना है कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। मामले की छानबीन कराई जाएगी।

Sabhar Dainik Jagran

Monday, October 18, 2010

मंदिर-मस्जिद विवाद का फार्मूला निकालने की घोषणा राजनीतिक स्टंट

अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्री य अध्य क्ष स्वा्मी चक्रपाणी महाराज ने महन्त ज्ञानदास के अयोध्या स्थित आवास पर हिन्दू और मुस्लिम नेताओं के बीच हुई बैठक में मंदिर-मस्जिद मुद्दे के समाधान का फार्मूला निकालने की घोषणा को राजनीतिक स्टंट बताते हुये कहा कि हिन्दू महासभा इलाहाबाद उच्चे न्याजयालय द्वारा गत 30 सितंबर को सुनाये गये निर्णय को सर्वोच्चट न्या यालय में चुनौती देने के अपने निर्णय पर अडिग है. इस संदर्भ में हिन्दू महासभा और वरिष्ठि अधिवक्ताटओं के बीच व्यालपक स्तहर पर विचार विमर्श चल रहा है और शीघ्र ही सर्वोच्चे न्यादयालय में चुनौती देने वाली याचिका दायर करने की तिथि की घोषणा की जायेगी.

हिन्दू महासभा के राष्‍ट्रीय मीडिया प्रभारी रविनद्र कुमार द्विवेदी ने आज जारी बयान में बताया कि इलाहाबाद उच्चर न्यादयालय में मुख्य्तः तीन पक्षकार हिन्दूी महासभा, सुन्नीज वक्‍फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा शामिल थे, जिनके बीच 60 साल तक मुकदमा लड़ा गया. इनमें से केवल निर्मोही अखाड़ा ही बातचीत से हल निकालने का प्रयास कर रहा है, जो पूर्णतः औचित्यगविहीन है. द्विवेदी ने कहा कि हिन्दू महासभा और सुन्नीा वक्फर बोर्ड द्वारा सर्वोच्चि न्याकयालय में चुनौती देने के घोषणा के बाद अन्यय हिन्दूइ-मुस्लिम संगठनों और नेताओं के मध्यन सुलह वार्ता का कोई औचित्य् ही नही रह जाता.

राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रविन्द्रव कुमार द्विवेदी ने बताया कि स्वा मी चक्रपाणि महाराज सर्वोच्च न्याीयालय के अधिवक्तार गुबरैल, दिल्ली् उच्च् न्यामयालय की अधिवक्तास संजया शर्मा, राजेश रैना आदि से सर्वोच्चत न्‍यायालय में चुनौती याचिका दायर करने के संदर्भ में गहन विचार विमर्श चल रहा है. द्विवेदी ने कहा कि हिन्दूच महासभा लाशों के अंबार पर मंदिर निर्माण नहीं कराना चाहती. इसलिये उसने आरंभ से ही न्याियालय के माध्यदम से इलाहाबाद उच्चु न्यांयालय के 30 सितंबर के विवादास्पभद निर्णय का समाधान खोजने की कोशिश कर रही है. उन्होंसने कहा कि मस्जिद को दी जाने वाली एक तिहाई जमीन हिन्दु ओं को सौंपे बिना भव्यण श्रीराम का मंदिर निर्माण नही हो सकता.

Monday, August 30, 2010

पुलिस की अधूरी जानकारी के विरूद्ध पत्रकार राजीव कुमार ने सीआईसी की शरण ली

रविन्द्र कुमार द्विवेदी


दिल्ली पुलिस आपके लिए आपके साथ का नारा देने वाली दिल्ली पुलिस को शायद इसका मतलब शायद पता नही है।तभी तो आए दिन दिल्ली पुलिस की कारस्तानी अखबारों में छपती रहती है। दिल्ली पुलिस आम जनता की मदद तो दूर समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को भी अपने सामने कुछ नही समझती है। ऐसे ही एक घटना के तहत एक पत्रकार ने दिल्ली पुलिस की वास्तविकता देखी।

तात्काजलिक हिन्दी पत्रिका भारतीय पक्ष के पत्रकार राजीव कुमार पिछले कई साल से उत्तम नगर के संपत्ति संख्या ए-20 सुभाष पार्क में किराये पर अपने परिवार के साथ रह रहे थे। 22/10/2009 को राजीव के मकान मालिक सुरेश ने राजीव से जानबूझकर नशे में धुत्त होकर फसाद किया व उन्हें घर से निकालकर उनकी पत्नी शिल्पी और एक साल के पुत्र आकाश को बंधक बना लिया। राजीव ने अंत में 100 नंबर पर फोन किया। पीसीआर की गाड़ी आई, राजीव की मदद करने को कौन कहे उल्टे उन्हें डांटने-फटकारने लगी। राजीव ने मिन्नतें की कि मेरे बच्चे व पत्नी की जान खतरे में है। इस पर भी पुलिस वालों का दिल नही पसीजा। वे पुलिसिया रौब दिखाना शुरू कर दिया. इन दोनों में प्रधान सिपाही सिब्बनल चन्द्रा जिसका बेल्टज नंबर 134 पी.सी.आर. है ने डांटते-फटकारते हुए कहा कि हम क्याब करें तुम्हा रे पत्नील और बच्चेप की जान खतरे में है अगर यह मकान मालिक हमारा सर फोड़ दे तो तब क्याे होगा और जो दूसरा प्रधान सिपाही भगवान सिंह जिसका बेल्ट नंबर 6309 पी.सी.आर. है वो घटना स्थ ल पर आया ही नही वह वहीं तिराहे पर वैन लगाकर वहां की रौनक देखने में व्य स्तव था. अंत में ये दोनों पुलिसिया रौब झाड़ते हुए चले गये. सनद रहे कि इन दोनों पुलिसवालों का नाम और बेल्टआ नंबर आर.टी.आई. के तहत पता चला है. बाद में थाना बिन्दापुर से एएसआई राजेन्द्र सिंह आया। वह पत्रकार राजीव कुमार को न्याय दिलाने के बजाय उन्हीं पर भड़क उठा।

राजीव ने खुद को पत्रकार बताते हुए, एएसआई को सारा मामला समझाते हुए उससे अनुरोध किया कि वह उनकी पत्नी व पुत्र को मकान मालिक सुरेश के बंधक से छुड़ाए। राजेन्द्र सिंह ने पत्रकार राजीव कुमार से काफी बत्तमीजी से उसका परिचय पत्र मांगा। राजीव कुमार द्वारा परिचयपत्र देने के बाद भी राजेन्द्र सिंह ने उससे काफी अभद्रता से बात की और परिचयपत्र को अपने जेब में रख लिया। राजीव ने कई बार परिचयपत्र वापस मांगने के बाद एएसआई ने राजीव को फर्जी पत्रकार के जुर्म में जेल में बंद करने की धमकी देते हुए परिचयपत्र वापस कर दिया। बिन्दापुर थाने का यह बद्जुबान एएसआई लगातार मकान मालिक सुरेश का पक्ष लिये जा रहा था, आखिरकार आस-पास के लोगों ने जब एएसआई पर दबाव बनाया तब जाकर कहीं उसने कुछ मजबूरन करीब 12 घंटे के बाद राजीव की पत्नी और उनके बच्चे को सुरेश के चंगुल से मुक्त कराया। राजीव ने इस पूरे घटना की एफआईआर दर्ज करवानी चाही लेकिन राजेन्द्र सिंह ने कोई भी शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया।

फसाद करने वाले मकान मालिक सुरेश कोई काम-काज नही करता है। उसका बस एक मात्र काम शराब, गांजा पीकर अश्लील हरकत करना, गंदी-गंदी गालियां देना है। झगड़े के समय भी सुरेश के पास गांजे की पुड़िया थी लेकिन एएसआई राजेन्द्र सिंह ने राजीव के कहने पर भी उस ओर कोई ध्यान नही दिया। इसके अलावा मकान मालिक सुरेश अपनी भाभी को जलाकर मारने के आरोप में हरियाणा की जेल में सजा भी काट चुका है। आखिरकार राजीव को उनकी पत्नी और बच्चा सकुशल मिल गया लेकिन घर के कुछ अन्य सामान आज तक नही मिल पाये। सामानों में टीवी, सीलिंग फैन, ट्यूबलाइट व अन्य जरूरी दस्तावेज घर में ही रह गया। राजीव कुमार ने मकान तो बदल लिया किन्तु उनका सामान वापस नही मिला राजीव कुमार ने जब सुरेश से अपना सामान मांगा तो उसने राजीव को धमकी दिया कि यदि उसने अपना सामान वापस मांगा तो वो उसे और उसके परिवार को जान से मरवा देगा। अगर धमकी की शिकायत पुलिस से की तो उसके उपर पचास हजार की चोरी का झूठा आरोप लगवाकर जेल भिजवा देगा। सुरेश की ज्यादती और दिल्ली पुलिस की नाइंसाफी से तंग आकर आखिरकार राजीव ने जनसूचनाधिकार अधिनियम 2005 का उपयोग करते हुए दिल्ली पुलिस से घटना की विस्त्रृत जानकारी मांगी, साथ ही अपनी शिकायत कमिश्नर से कर पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों का भी विवरण आरटीआई के तहत मांगा था।

इसके उत्तर में दिल्ली पुलिस कोई सटीक जवाब देने के बजाय गोलमटोल जवाब देकर राजीव को गुमराह करने की पूरी कोशिश की। दिल्ली पुलिस ने सूचना अधिकार के मूल नियमों को ठेंगा दिखाते हुए अधूरा जवाब भेज दिया कि राजीव का कोई भी सामान मकान मालिक के पास नहीं है, उस दिन मकान मालिक से कोई भी झगड़ा नही हुआ था। और मजबूर होकर राजीव ने मामले को केन्द्रीय सूचना आयोग के संज्ञान में लाने हेतु केन्द्रीय सूचना आयुक्त को पत्र भेजा है। उन्हें उम्मीद है कि सूचना आयोग के माध्यम से उन्हें सही जानकारी के साथ न्याय भी मिल सकेगा।

Thursday, August 26, 2010

वैदिक यज्ञ मण्‍डप के निर्माण पर जजिया कर लगाने से हिन्‍दू स्‍वराज्‍य सेना नाराज

राजीव कुमार


नई दिल्ली(26/08/10)1 हिन्‍दू स्‍वराज्‍य सेना के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रविन्‍द्र कुमार द्विवेदी ने दिल्‍ली की कांग्रेस सरकार और नई दिल्‍ली नगर पालिका पर राष्‍ट्रमंडल खेलों में भारतीय वैदिक संस्कृति की उपेक्षा करने और वैदिक संस्कृति के कार्यक्रमों पर जजिया कर लगाने की कड़ी आलोचना करते हुए कड़ी आंदोलन की चेतावनी दी है.


आज जारी बयान में द्विवेदी ने बताया कि अखिल भारत हिन्‍दू महासभा की राष्‍ट्रीय महामंत्री डा0 इंदिरा तिवारी ने गत माह दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित को पत्र भेजा था. पत्र् में राष्‍ट्रमंडल खेलों में शामिल होने वाले विदेशी खिलाडियों और विदेशी पर्यटकों को अतिथि देवो भव की भारतीय परंपरा से अवगत कराने के लिए नई दिल्‍ली के मंदिर मार्ग स्थि‍त हिन्‍दू महासभा भवन में एक अस्‍थायी यज्ञ मण्‍डप बनाने की अनुमति मांगी गई थी यह यज्ञ मंडप 15 सितंबर 2010 से 15 नवंबर 2010 तक के लिये बनाया जाना था.


द्विवेदी ने आगे अपने बयान में बताया कि मुख्‍यमंत्री कार्यालय से डा0 इंदिरा तिवारी का पत्र नई दिल्‍ली नगर पालिका के पास आवश्‍यक कार्यवाही हेतु भेजा गया. नई दिल्‍ली नगर पालिका ने उस पत्र् के जवाब में जो कुछ लिखकर भेजा, उससे पूरा हिन्‍दू समाज हतप्रभ है. जवाब में हिन्‍दू महासभा वैदिक यज्ञ मण्‍डप बनाने से पूर्व सवा लाख रूपये नई दिल्‍ली नगर पालिका के खाते में जमा कराने का निर्देश दिया गया.


द्विवेदी ने नई दिल्‍ली नगर पालिका के इस आचरण पर हैरानगी जताते हुए कहा कि सवा लाख रूपये जमा कराने का मुगल फरमान मुगल काल के जजिया कर की याद दिलाता है. उन्‍होंने कहा कि हमारे देश में मुस्लिमों को उनके धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक आयोजन के लिए जहां सरकार लाखों रूपये का अनुदान देकर उनकी मदद करती है, वहीं हिन्‍दुओं के आयोजन से लाखों रूपये का टैक्‍स वसूलकर अपना खजाना भरती है. दो विभिन्‍न धर्मों के मध्‍य सरकार का भेदभाव भारत के र्धर्मनिरपेक्ष चरित्र् की मूल भावना के विरूद्ध है. इससे हिन्‍दू समाज आहत है, उसके भीतर प्रतिकार की भावना उग्र हो रही है.


द्विवेदी ने नई दिल्‍ली नगर पालिका के अधिकारियों और दिल्‍ली की कांग्रेस सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सवा लाख रूपये टैक्‍स जमा करवाने का तुगलकी फरमान तुरंत वापस लिया जाये और वैदिक यज्ञ मण्‍डप बनाने की निःशुल्‍क अनुमति प्रदान की जाये. यदि ऐसा नही हुआ तो हिन्‍दू स्‍वराज्‍य सेना और अखिल भारत हिन्‍दू महासभा अपने भवन के सामने मार्ग पर मुख्‍य मंडप बनाकर यज्ञ हवन करने को बाध्‍य होगी. उन्‍होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हिन्‍दू समाज को मुस्लिम तुष्‍टीकरण की नीतियों के विरूद्ध हिन्‍दू महासभा के सशक्‍त नेतृत्व में एकजुट हो जाना चाहिए. अगर आज चूक गए तो इस देश को संभावित इस्‍लामी राष्‍ट्र बनने से कोई नही रोक पायेगा.

Thursday, August 19, 2010

क्या कुरआन सचमुच ईश्वरीय ग्रन्थ है ?

बी. एन. शर्मा

क्या कुरआन सचमुच ईश्वरीय ग्रन्थ है ?
डाक्टर ज़कारिया नायक जैसे इस्लामी विद्वान् कुरआन को अल्लाह के द्वारा प्रणीत ग्रन्थ बताते हैं .और दावा करते हैं किकुरान में लिखा एक एक शब्द अल्लाह ने मुहम्मद पर नाजिल किया है.इसलिए इसमे किसी भी प्रकार की गलती नहीं है.जबकि अन्य धर्म ग्रंथोंमे गलतिओं की भरमार है.क्योंकि वे मनुष्यों द्वारा रचित हैं.अल्लाह की किताब होने के कारण कुरआन त्रुटी रहित और प्रमाणिक है
मैं आपको कुरआन से कुछ उदाहरण दे रहा हूं ,आप स्वयं निर्णय करिए कि ज़कारिया नायक के दावे में कितनी सच्चाई है.
१--जमीन की सृष्टी के बारे में

कुरआन में कहा गया है कि अल्लाह ने जमीन को दो दिनों में बनाया था
सूरा-हां मीम सजदा ४१ आयत ९
फिर दूसरी जगह कहा गया है कि जमीन को छे दिनों मेंबनाया था
सूरा यूनुस १० आयत ३ .इनमे कौन सी बात सच है ?
२ -- फिराउन के बारे में

कुरआन में कहा गया है कि मिस्र का राजा फिराउन अपने अपराधिओं को क्रूस पर लटका कर मौत की सजा देता था .
सूरा अल आराफ ७ आयात १२४
जबकि क्रूस पर लटकाने की प्रथा रोमन लोगों ने शुरू की थी.फिराउन का काल रोमनों से तीन हजार पहिलेका है.
३-- सामरी के बारे में
कुरआन में बताया गया है कि, एक सामरी जाती के व्यक्ति ने इस्रायली लोगों को बहकाया था ,और उन लोगों को सोने के बछड़े की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था
सूरा -ताहां २० आयत ९५
जबकि उस समय सामरी लोगों का कोई अस्तित्व ही नहीं था.यह लोग काफी बरसों बाद यहूदिओं से अलग हुए थे.
४-- उजेर या एजरा के बारे में
कुरआन में उजैर के बारे में कहा गया है कि यहूदी उजैर को खुदा का बेटा मानते थे.और उसकी इबादत करते थे
सूरा तौबा -९ आयत ३०
लेकिन उजैर यहूदी धर्म में दीक्षित नहीं था.और न ही उजैर यहूदी धर्म का अनुयायी था.इसलिए उसे कहता का बेटा मानने का सवाल ही नहीं है ५ --सिकंदर के बारे में
५-- कुरआन में सिकंदर ,जिसे अरबी में जुलकरनैन भी कहा जाता,बताया गया है कि वह अल्लाह का बन्दा था .उसे अल्लाह ने सुख समृद्धी और लम्बी आयु का बरदान दिया था
सूरा कहफ़ -१८ आयत ८३.८४,९८
लेकिन सिकंदर ३५६ ई पू ३५६ में ३३ साल की आयु में भारत में बियास नदी के किनारे बीमारी से मारा गया था
६-- ईसाइयों के बारे में
कुरआन में कहा गया है कि,ईसाई तीन तीन खुदाओं को मानते हैं. खुदा ,मरियम और ईसा मसीह को.
सूरा मायदा -५ आयत ११६,और आयत ७३ से ७५
जबकि ईसाई मरियम को खुदा नहीं मानते .वे ट्रिनिटी में विश्वास रखते है इसके अनुसार ईसाई पिता परमेश्वर ,पुत्र ईसा और पवित्र आत्मा को मानते है .वे इन तीनों को ही एक ही ईश्वर की तीन विभूति मानते है .मरयम को वह संत मानते हैं .यही मुसलमान भी मानते हैं.
७-- मरियम के बारे में
कुरआन में लिखा है कि इसा की माँ मरयम हारून की बहिन थी हारून का बाप इमरान था उसके दो लड़कों का नाम मूसा और हारून था.
सूरा मरियम -१९ आयत २८ ,सूरा -आले इमरान ३ -आयत ३३,३६
लेकिन मरयम और हारून व् मूसा के काल में सैकड़ों साल का अंतर है.हारून और मूसा मरियम से काफी वर्षों पहिले पैदा हुए थे.

इस से सिद्ध होता है कि कुरआन में इतिहास से सम्बंधित कई गलतियाँ हैं अगर अल्लाह अन्तर्यामी और सर्व ज्ञाता होता तो वह ऎसी भूलें नहीं करता.
क्या जकरया नायक अब ही यह दावा करेंगे कि कुरआन में कोई गलती नहीं है ,और यह अल्लाह की किताब है
अपनी अगली पोस्ट में जकारिया नायक के दावोंका भण्डाफोड़ करूंगा .कृपया प्रतीक्षा करें


प्रस्तुति-राजीव कुमार

http://bhandafodu.blogspot.com/2010/05/blog-post_22.html

मुहम्मद के ससुर -सहाबियों का आदर्श दुश्चरित्र और महान कुकर्म !

बी. एन. शर्मा


मुहम्मद के ससुर -सहाबियों का आदर्श दुश्चरित्र और महान कुकर्म !
इस्लाम अल्लाह का पसंदीदा और सर्वश्रेष्ठ धर्म है.इसलिए अल्लाह ने इस्लाम के शुरुआती दौर में ही इस्लाम में आसानी कर दी थी .इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ती अपने सारे जीवन में एक बार भी ,चलते फिरते मुहम्मद को देख लेता था तो वह "सहाबा"यानी मुहम्मद का companion बन जाता था.और जो किसी सहाबा को देख लेता था वह "ताबीइन"बन जाता था .इसी तरह जो व्यक्ति ताबीइन को देख लेता था वह ताबये ताबीइन बन कर महान और इज्जतदार बन जाता था .धीमे धीमे ऐसे लोगों की काफी बड़ी संख्या हो गयी थी .पाहिले यह लोग मुहम्मद की पत्नी आयेशा से मिलकर मुहम्मद के बारे में जानकारियाँ जमा करते थे ,जैसे मुहम्मद ने क्या कहा ,वह क्या खाते या क्या पहिनते हैं ,आदि चूंकि मुहम्मद के ससुर अबूबकर और उमर मुहम्मद के घर के पास रहते थे ,वे पाहिले सहाबी बन गए .इन सहबियों ने मुहम्मद के बारे में में या जो भी कथन था वह लोगों तक पहुंचा दिया .इन लोगों को 'रावी "या narraator भी कहा गया है .सारी हदीसें इन लोगों के द्वारा ही कही गयी हैं .

बाद में यही लोग जिहाद के नामपर जगह जगह से माल लूटने लगे .और लूट का पांचवां हिस्सा आयेशा के घर भेजने लगे .जब यह फ़ौज बढ़ गयी तो अबूबकर ने एक चाल चली .उसने अपनी बेटी मुहम्मद की औरत को "उम्मुल मोमिनीन "यानी मुसलमानों की अम्मा का खिताब देकर सारे लोगों का नेता बना दिया .सब आयेशा की बात मानने लगे.चारों तरफ से लूट का माल आने से अबूबकर धनवान हो गया .इसी तरह उमर भी पैसे वाला बन गया .इन लोगों को सत्ता का खून लग चुका था .और उनके दिलों में बादशाह या खलीफा बनाने का लालच पैदा हो गया .

मुहम्मद को यह पता था ,लेकिन वह अपने दामाद अली को खलीफा बनाना चाहता था.मुहम्मद कयी बार लोगोंके सामने अपनी यह इच्छा प्रकट की ही .क्योंके अली एक नेक दिल इंसान थे वह भारत को शान्ति प्रिय देश मानते थे."मुहम्मद ने कहा की "अना मदीनतुल इल्म व् अलीयुन बाबुहा "मैं ज्ञान का नगर हूँ और अली उसके द्वार हैं .

जब अबूबकर और उमर को इसकी भनक पड़ी तो उन्हों ने अपनी बेटीओं आयेशा और हफ्शा के द्वारा मुहम्मद को जहर दिलवा दिया .मुहम्मद बीमार पड़ गया .जब उसे लगा की उसका अंतिम समय आने वाला है ,तो उसने अबुबकर से कहा कि जल्दी से मेरे पास कागज़ कलम लाओ .ताकि मैं अपनी वसीयत लिख दूँ जिससे बाद में कोई विवाद न हो .

देखिये -कन्जुल उम्माल -जिल्द 1 पेज 283 हदीस 939 .और बुखारी -जिल्द 7 पेज 22 और मुस्लिम जिल्द 2 पेज 14

लेकिन अबूबकर को डरथा कि कहीं मुहम्मद अली को वारिस न बनादें .उसने मुहम्मद से कहा कि या रसूल अगर आप अपनी वसीयत लिखाकर सब को बता देंगे तो आपकी यह पोल खुल जायेगी कि आप अनपढ़ हैं और कुरआन अल्लाह की किताब है .जब लोगों को पता चलेगा कि आप लिख पढ़ सकते हैं यहूदी ईसाई कहेंगे कि कुरआन मुहम्मद ने रची है .यह सुनकर मुहम्मद डर गया .और वसीयत लिखने से रुक गया .

आखिर 63 साल की आयु में दिनाक 8 जून सन 632 को मुहम्मद दुनिया से बिना वसीयत लिखे ही कूच कर गए .

आयेशा और अबूबकर से साथ उमर भी अली से नफ़रत करतेथे .इनके साथ कुरैश के कई लोग भी थे .आयेशा को अली से खतरा था .उस समय अली बसरा में थे आयेशा ने अली की ह्त्या करवाने के लिए एक भारी फ़ौज जमा कि .और अली पर हमला कर दिया आयेशा खुद अल अक्सर नाम के ऊंट पर सवार होकर लोगों को अली की ह्त्या के लिए उकसा रही थी यह युद्ध सन 656 में बसरा में हुआ था .इस युद्ध को इतिहास में "जंगे जमल"यानी ऊंटों का युद्ध कहा गया है .इसमे अली के 1070 लोग मारे गए ,लेकिन वह जीत गए

जब अली जीतकर मदीने आये तो अबूबकर और उमर ने फिर चाली .जैसी मुसलमानों की आदत होती है .इन लोगों में अली से समझौता कर लिया .और पाहिले सहाबियों को रिश्वत देकर पटा लिया .फिर कहा कि जिसके पक्ष में सबसे जादा सहाबी होंगे वे संख्या के अनुसार खलीफा बनेंगे .अली के पक्ष में सिर्फ तीन लोग आये 1 मिकदाद बिन अस्वाद 2 अबू जरार गफारी और ३सलमान फारसी

इसा तरह मक्कारी से इस्लाम की हुकूमत हो गयी .जिसे खिलाफत कहते हैं .अली का क्रम चौथा कर दिया गया .खलीफों के नाम यह हैं -

1 -अबूबकर सन 632 में बना 634 में बीमार हो कर मर गया

2 -उमर बिन खत्ताब 634 से 644 में मर गया

3 -उस्मान बिन अफ्फान 644 से 656 इसकी ह्त्या की गयी

4 -अली बिन अबूतालिब 656 से 661 इनकी भी ह्त्या की गयी थी

इसके बाद मुआविया बिन अबू सुफ़यान और फी यजीद बिन मुआविया खलीफा बने .अली को छोड़ सभी खलीफाओं ने जो जो कुकर्म किये उस से इंसानियत काँप उठी थी .आज भी इनकी औलादें और अनुयायी अरब पर राज कर रहे है ,जिन्हें वहाबी या अहले हदीस कहा जाता है .


इमाम जाफर सादिक जो सन 703 में पैदा हुए उन्होंने अपनी किताब "हयातुल कुलूब "और "हक्कुल ईमान "में इन खलीफों के बारे में जो लिखा है वह दिया जा रहा है .याद रहे इमाम जाफर मुहम्मद के वंशज है ,जो झूठ नहीं बोल सकते .

1 -आयेशा और हफ्शा ने मुहम्मद को जहर दिया था ,जिससे कुछ दिनों बाद वह मर गए. हक्कुल य -पेज 870

2 -इमाम जैनुल अबिदीन ने कहा कि अबूबकर और उस्मान काफिर हैं .हक्कुल य पेज 522

3 -जो अबूबकर और उमर को मुसलमान मानते हैं उनपर अल्लाह और रसूल की लानत है हक्कुल य पेज 680

4 -इमाम जाफर रोज अपनी फर्ज नमाजों के बाद इन लोगों पर नयमित लानत भेजते थे .अबूबकर,उस्मान ,उमर .,मुआविया ,आयेशा ,हफ्शा और मुआविया की बहिन उम्मुल हकीम पेज -342

5 -इमाम जाफर ने कहा कि सीरिया के लोग रोमनों सेजादा नीच हैं और मक्के वाले उन से अधिक ,लेकिन मदीने के लोग सबसे सत्तर गुना बदकार हैं .हयातुल कुलूब जिल्द 2 पेज 410

6 -हजार जफ़र ने कहा कि अरब की उम्मत वेश्याओं की तरह है ,जो सूअर की तरह बच्चे पैदा कर रही है अरब की उम्मत वेश्याओं की संतान है हयातुल कुलूब -पेज 337

8 -जब खालिद बिन वलीद ने मालिक इब्ने नावरिया के कबीले के सरदार को क़त्ल किया तो उसी समय सबके साने उसकी औरत से बलात्कार किया.और सरदार के सर को तंदूर में पका कर अपनी शादी का वलीमा किया था.हयातुल कुलूब -पेज 100

9 -जब मुहम्मद की औरतें खेत में शौच के लिए जाती थीं ,तो उमर उनसे गंदे इशारे करता था .हया -पेज 430

10 -शराब हराम होने के बाद भी उमर जम कर शराब पीताऔर इसी से उसकी मौत हुई थी हया-पेज 430

11 -उमर अपनी औरतों के साथ पीछे से सम्भोग करता था .anal sex .हया-पेज 432

12 -उस्मान ने अपनी पत्नी को जब वह बीमार थी ,अत्याधिक सम्भोग करके मार डाला था .जब उसकी पत्नी उम्मे कुलसुम मर गयी तो उसकी लाश से भी सम्भोग किया था .हयातुल कुलूब जिल्द 2 पेज 432

13 -सारे अहले सुन्नत बिदती और बिलाशक काफिर है .ह यकीन पेज 384



ऐसे और केई उदाहरण है .लेकिन कुछ लोग इस्लाम की यह खूबियाँ जान कर मुसलमान बन रहे है ,खिलाड़ी ,कबाड़ी ,साहित्यकार और सहत्याकार सभी ऊंट की तरह मक्के की तरफ दौड़ रहे .शायद उन्हें पता है घुसना आसान है पर निकलना असंभव है

मुस्लिम ब्लोगर अक्सर घुमाफिरा कर सेक्स पर आ जाते है .इसलिए उनके लिए इसी विषय पर जल्द ही लिखा जाएगा ..प्रतीक्षा करें

प्रस्तुति-राजीव कुमार

यह कुरआन के आदेश हैं !मान लो !वरना .....!!

बी.एन. शर्मा



यह कुरआन के आदेश हैं !मान लो !वरना .....!!


इस्लाम शान्ति का धर्म है .और मानवमात्र के कल्याण की कामना रखता है.कुरआन लोगों में भाईचारा फैलाना चाहता है.कुरान लोगों को अत्याचार और अन्याय से मुक्ति दिलाता है.ताकि विश्व के सारे लोग बिना भेदभाव के सुख शान्ति से जी सकें. इसीलिए अल्लाह ने अपने प्यारे अंतिम रसूल मुहम्मद को कुरआन देकर दुनिया में भेजा था.कि वह कुरआन का शान्ति सन्देश दुनिया भर में पहुंचा दे.और मुहम्मद के बाद यह काम मुसलमान करते रहें.

इसी कुरआन के ऊपर फ़िदा होकर लाखों लोग इस्लाम कबूल कर रहे हैं .और दुनिया के कोने कोने में शान्ति फैला रहे हैं.जैसा कि हम रोज अखबारों में पढ़ रहे हैं और टी वी में देख रहे हैं .आखिर कुरआन की शिक्षा में क्या है ,आप इसके कुछ नमूने देखिये -

1 -गैर मुसलमानों पर रौब डालो ,और उनके सर काट डालो .

काफिरों पर हमेशा रौब डालते रहो .और मौक़ा मिलकर सर काट दो .सूरा अनफाल -8 :112

2 -काफिरों को फिरौती लेकर छोड़ दो या क़त्ल कर दो .

"अगर काफिरों से मुकाबला हो ,तो उनकी गर्दनें काट देना ,उन्हें बुरी तरह कुचल देना .फिर उनको बंधन में जकड लेना .यदि वह फिरौती दे दें तो उनपर अहसान दिखाना,ताकि वह फिर हथियार न उठा सकें .सूरा मुहम्मद -47 :14

3 -गैर मुसलमानों को घात लगा कर धोखे से मार डालना .

'मुशरिक जहां भी मिलें ,उनको क़त्ल कर देना ,उनकी घात में चुप कर बैठे रहना .जब तक वह मुसलमान नहीं होते सूरा तौबा -9 :5

4 -हरदम लड़ाई की तयारी में लगे रहो .

"तुम हमेशा अपनी संख्या और ताकत इकट्ठी करते रहो.ताकि लोग तुमसे भयभीत रहें .जिनके बारेमे तुम नहीं जानते समझ लो वह भी तुम्हारे दुश्मन ही हैं .अलाह की राह में तुम जो भी खर्च करोगे उसका बदला जरुर मिलेगा .सूरा अन फाल-8 :60

5 -लूट का माल हलाल समझ कर खाओ .

"तुम्हें जो भी लूट में माले -गनीमत मिले उसे हलाल समझ कर खाओ ,और अपने परिवार को खिलाओ .सूरा अन फाल-8 :69

6 -छोटी बच्ची से भी शादी कर लो .

"अगर तुम्हें कोई ऎसी स्त्री नहीं मिले जो मासिक से निवृत्त हो चुकी हो ,तो ऎसी बालिका से शादी कर लो जो अभी छोटी हो और अबतक रजस्वला नही हो .सूरा अत तलाक -65 :4

7 -जो भी औरत कब्जे में आये उससे सम्भोग कर लो.

"जो लौंडी तुम्हारे कब्जे या हिस्से में आये उस से सम्भोग कर लो.यह तुम्हारे लिए वैध है.जिनको तुमने माल देकर खरीदा है ,उनके साथ जीवन का आनंद उठाओ.इस से तुम पर कोई गुनाह नहीं होगा .सूरा अन निसा -4 :3 और 4 :24

8 -जिसको अपनी माँ मानते हो ,उस से भी शादी कर लो .

"इनको तुम अपनी माँ मानते हो ,उन से भी शादी कर सकते हो .मान तो वह हैं जिन्होंने तुम्हें जन्म दिया .सूरा अल मुजादिला 58 :2

9 -पकड़ी गई ,लूटी गयीं मजबूर लौंडियाँ तुम्हारे लिए हलाल हैं .

"हमने तुम्हारे लिए वह वह औरते -लौंडियाँ हलाल करदी हैं ,जिनको अलाह ने तुम्हें लूट में दिया हो .सूरा अल अह्जाब -33 :50

10 -बलात्कार की पीड़ित महिला पहले चार गवाह लाये .

"यदि पीड़ित औरत अपने पक्ष में चार गवाह न ला सके तो वह अलाह की नजर में झूठ होगा .सूरा अन नूर -24 :१३

11 -लूट में मिले माल में पांचवां हिस्सा मुहम्मद का होगा .

"तुम्हें लूट में जो भी माले गनीमत मिले ,उसमे पांचवां हिस्सा रसूल का होगा .सूरा अन फाल- 8 :40

12 -इतनी लड़ाई करो कि दुनियामे सिर्फ इस्लाम ही बाकी रहे .

"यहांतक लड़ते रहो ,जब तक दुनिया से सारे धर्मों का नामोनिशान मिट जाये .केवल अल्लाह का धर्म बाक़ी रहे.सूरा अन फाल-8 :39

13 -अवसर आने पर अपने वादे से मुकर जाओ .

"मौक़ा पड़ने पर तुम अपना वादा तोड़ दो ,अगर तुमने अलाह की कसम तोड़ दी ,तो इसका प्रायश्चित यह है कि तुम किसी मोहताज को औसत दर्जे का साधारण सा खाना खिला दो .सूरा अल मायदा -5 :89

14 - इस्लाम छोड़ने की भारी सजा दी जायेगी .

"यदि किसी ने इस्लाम लेने के बाद कुफ्र किया यानी वापस अपना धर्म स्वीकार किया तो उसको भारी यातना दो .सूरा अन नहल -16 :106

15 - जो मुहम्मद का आदर न करे उसे भारी यातना दो

"जो अल्लाह के रसूल की बात न माने ,उसका आदर न करे,उसको अपमानजनक यातनाएं दो .सूरा अल अहजाब -33 :57

16 -मुसलमान अल्लाह के खरीदे हुए हत्यारे हैं .

"अल्लाह ने ईमान वालों के प्राण खरीद रखे हैं ,इसलिए वह लड़ाई में क़त्ल करते हैं और क़त्ल होते हैं .अल्लाह ने उनके लिए जन्नत में पक्का वादा किया है .अल्लाह के अलावा कौन है जो ऐसा वादा कर सके .सूरा अत तौबा -9 :111

17 -जो अल्लाह के लिए युद्ध नहीं करेगा ,जहन्नम में जाएगा .

"अल्लाह की राह में युद्ध से रोकना रक्तपात से बढ़कर अपराध है.जो युद्ध से रोकेंगे वह वह जहन्नम में पड़ने वाले हैं और वे उसमे सदैव के लिए रहेंगे .सूरा अल बकरा -2 :217

18 -जो अल्लाह की राह में हिजरत न करे उसे क़त्ल करदो

जो अल्लाह कि राह में हिजरत न करे और फिर जाए ,तो उसे जहां पाओ ,पकड़ो ,और क़त्ल कर दो .सूरा अन निसा -4 :89

19 -अपनी औरतों को पीटो.

"अगर तुम्हारी औरतें नहीं मानें तो पहले उनको बिस्तर पर छोड़ दो ,फिर उनको पीटो ,और मारो सूरा अन निसा - 4 :34

20 -काफिरों के साथ चाल चलो .

"मैं एक चाल चल रहा हूँ तुम काफिरों को कुछ देर के लिए छूट देदो .ताकि वह धोखे में रहें अत ता.सूरा रिक -86 :16 ,17

21 -अधेड़ औरतें अपने कपडे उतार कर रहें .

"जो औरतें अपनी जवानी के दिन गुजार चुकी हैं और जब उनकी शादी की कोई आशा नहीं हो ,तो अगर वह अपने कपडे उतार कर रख दें तो इसके लिए उन पर कोई गुनाह नहीं होगा .सूरा अन नूर -24 :60



हमें समझ में नहीं आ रहा है कि जब कुरआन में इतनी अच्छी बाते बताई गयी हैं ,जिस से विश्व का कल्याण हो सकता है ,तो कुछ मूर्ख कुरआन का विरोध करके उसे जलाने की बातें क्यों कर रहे है .पूरी दुनिया कुरआन और इस्लाम के खिलाफ क्यों होती जा रही .है .क्या लोग नहीं जानते कि यह अल्लाह की किताब है .और उसके मानने वाले मुसलमान भोले भाले शरीफ लोग है ,जो दुनिया में सिर्फ शांन्ति ही फैला रहे हैं


पता चला हैकि 11 सितम्बर 2010 को फ्लोरिडा में विश्व कुरआन जलाओ दिवस मनाया जाएगा .यह एक निदनीय कार्य है .हम इसका विरोध करते हैं .क्योंकि लाखों कुरानें जलाने से वातावरण प्रदूषित होगा .

प्रस्तुति-राजीव कुमार

Tuesday, July 27, 2010

पुलिस अपना आचरण सुधारे-द्विवेदी

पुलिस अपना आचरण सुधारे-द्विवेदी

अखिल भारत हिन्दू महासभा दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी ने पत्रकार राजीव कुमार को जान से मारने की धमकी देने कीशिकायत पर स्थानिय बिन्दापुर पुलिस द्वारा कोई कदम न उठाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि पुलिस अपराधियों को संरक्षण देकर अपने कर्तव्य से विमुख हो रही है। इससे आम जनता के जान-माल की सुरक्षा की गारण्टी से आम जनता का विष्वास उठता जा रहा है।

जारी बयान के अनुसार 22 अक्टूबर, 2009 को पत्रकार राजीव कुमार की पत्नी और उनके नन्हें बेटे को बंधक बनाकर उसके मकान मालिक सुरेष कुमार ने राजीव कुमार को भगा दिया था। सौ नंबर पर फोन करने के बाद 12 घण्टे के बाद स्थानीय एएसआई राजेन्द्र सिंह ने जनता के भारी दबाव के बाद हस्तक्षेप कर उनके पत्नी व बच्चे को सुरेष के बंधक से मुक्त करवाया, लेकिन उनका घर में रखा सामान बाद में दिलवाने का आष्वासन दिया गया। पत्रकार राजीव कुमार ने उसी वक्त किराये का नया मकान ले लिया था। जब राजीव को अपना सामान वापस नही मिला तो उन्होने आर0टी0आई0 एक्ट 2005 के तहत जानकारी मांगी।

पुलिस विभाग से राजीव को भेजी गई जानकारी में मकान मालिक सुरेष के पास उसका कोई सामान नहीं होने और राजीव की षिकायत पर जाँच रिपोर्ट लंबित होने की भ्रमित करने वाली जानकारी देकर सच्चाई को बड़ी सफाई से छिपा लिया। पुलिस विभााग की भ्रमित करने वाली आधी-अधूरी जानकारी के विरूद्ध राजीव ने केन्द्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया है।

श्री द्विवेदी ने जारी बयान में कहा कि पुलिस को आम नागरिकों के प्रति अपना आचरण सुधारना होगा, अन्यथा आम जनता का आक्रोष और जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति बढ़ती जागरूकता के सामने उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

Monday, July 19, 2010

इस्‍लाम शांति का मजहब है?



देश की महंगाई सुरसा की तरह मुंह बाये है इसके लिए कौन जिम्मेदार है सोनिया गाँधी जवाब दो ?


देश की महंगाई सुरसा की तरह मुंह बाये है इसके लिए कौन जिम्मेदार है सोनिया गाँधी जवाब दो ?


महंगाई डायन खाय जात है...

लफ्जों से ज्‍यादा ये चित्र इस सरकार की और महंगाई की वास्‍तविकता को बयां करता है। इसको देखकर साफ हो जाता है कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ही इस महंगाई को बढाने के लिए जिम्‍मेदार है। और इसकी चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी की चुप्‍पी भी इस महंगाई को बढाने के पक्ष में दिखती है। क्‍यों आजतक उनका एक भी वक्‍तव्‍य महंगाई को काबू में करने के लिए लिए नहीं आया। इसका मतलब की कांग्रेस की अध्‍यक्षा ही इस महंगाई को बढाने के लिए वास्‍तविक जिम्‍मेदार है

Monday, July 12, 2010

मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने से होने वाले दुष्परिणाम

मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने से होने वाले दुष्परिणाम


जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी कहते हैं कि कुरान के अनुसार विश्व दो भागों में बँटा हुआ है, एक वह जो अल्लाह की तरफ़ हैं और दूसरा वे जो शैतान की तरफ़ हैं। देशो की सीमाओं को देखने का इस्लामिक नज़रिया कहता है कि विश्व में कुल मिलाकर सिर्फ़ दो खेमे हैं, पहला दार-उल-इस्लाम (यानी मुस्लिमों द्वारा शासित) और दार-उल-हर्ब (यानी “नास्तिकों” द्वारा शासित)। उनकी निगाह में नास्तिक का अर्थ है जो अल्लाह को नहीं मानता, क्योंकि विश्व के किसी भी धर्म के भगवानों को वे मान्यता ही नहीं देते हैं।
इस्लाम सिर्फ़ एक धर्म ही नहीं है, असल में इस्लाम एक पूजापद्धति तो है ही, लेकिन उससे भी बढ़कर यह एक समूची “व्यवस्था” के रूप में मौजूद रहता है। इस्लाम की कई शाखायें जैसे धार्मिक, न्यायिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सैनिक होती हैं। इन सभी शाखाओं में सबसे ऊपर, सबसे प्रमुख और सभी के लिये बन्धनकारी होती है धार्मिक शाखा, जिसकी सलाह या निर्देश (बल्कि आदेश) सभी धर्मावलम्बियों को मानना बाध्यकारी होता है। किसी भी देश, प्रदेश या क्षेत्र के “इस्लामीकरण” करने की एक प्रक्रिया है। जब भी किसी देश में मुस्लिम जनसंख्या एक विशेष अनुपात से ज्यादा हो जाती है तब वहाँ इस्लामिक आंदोलन शुरु होते हैं। शुरुआत में उस देश विशेष की राजनैतिक व्यवस्था सहिष्णु और बहु-सांस्कृतिकवादी बनकर मुसलमानों को अपना धर्म मानने, प्रचार करने की इजाजत दे देती है, उसके बाद इस्लाम की “अन्य शाखायें” उस व्यवस्था में अपनी टाँग अड़ाने लगती हैं। इसे समझने के लिये हम कई देशों का उदाहरण देखेंगे, आईये देखते हैं कि यह सारा “खेल” कैसे होता है
जब तक मुस्लिमों की जनसंख्या किसी देश/प्रदेश/क्षेत्र में लगभग 2% के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसन्द अल्पसंख्यक बनकर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते, जैसे -
अमेरिका – मुस्लिम 0.6%
ऑस्ट्रेलिया – मुस्लिम 1.5%
कनाडा – मुस्लिम 1.9%
चीन – मुस्लिम 1.8%
इटली – मुस्लिम 1.5%
नॉर्वे – मुस्लिम 1.8%
जब मुस्लिम जनसंख्या 2% से 5% के बीच तक पहुँच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलम्बियों में अपना “धर्मप्रचार” शुरु कर देते हैं, जिनमें अक्सर समाज का निचला तबका और अन्य धर्मों से असंतुष्ट हुए लोग होते हैं, जैसे कि –
डेनमार्क – मुस्लिम 2%
जर्मनी – मुस्लिम 3.7%
ब्रिटेन – मुस्लिम 2.7%
स्पेन – मुस्लिम 4%
थाईलैण्ड – मुस्लिम 4.6%
मुस्लिम जनसंख्या के 5% से ऊपर हो जाने पर वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलम्बियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना “प्रभाव” जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिये वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर “हलाल” का माँस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि “हलाल” का माँस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यतायें प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में “खाद्य वस्तुओं” के बाजार में मुस्लिमों की तगड़ी पैठ बनी। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्केट के मालिकों को दबाव डालकर अपने यहाँ “हलाल” का माँस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी “धंधे” को देखते हुए उनका कहा मान लेता है (अधिक जनसंख्या होने का “फ़ैक्टर” यहाँ से मजबूत होना शुरु हो जाता है), ऐसा जिन देशों में हो चुका वह हैं –
फ़्रांस – मुस्लिम 8%
फ़िलीपीन्स – मुस्लिम 6%
स्वीडन – मुस्लिम 5.5%
स्विटजरलैण्ड – मुस्लिम 5.3%
नीडरलैण्ड – मुस्लिम 5.8%
त्रिनिदाद और टोबैगो – मुस्लिम 6%
इस बिन्दु पर आकर “मुस्लिम” सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके “क्षेत्रों” में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाये (क्योंकि उनका अन्तिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व “शरीयत” कानून के हिसाब से चले)। जब मुस्लिम जनसंख्या 10% से अधिक हो जाती है तब वे उस देश/प्रदेश/राज्य/क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिये परेशानी पैदा करना शुरु कर देते हैं, शिकायतें करना शुरु कर देते हैं, उनकी “आर्थिक परिस्थिति” का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़फ़ोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ़्रांस के दंगे हों, डेनमार्क का कार्टून विवाद हो, या फ़िर एम्स्टर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है, जैसे कि –
गुयाना – मुस्लिम 10%
भारत – मुस्लिम 15%
इसराइल – मुस्लिम 16%
केन्या – मुस्लिम 11%
रूस – मुस्लिम 15% (चेचन्या – मुस्लिम आबादी 70%)
जब मुस्लिम जनसंख्या 20% से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न “सैनिक शाखायें” जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरु हो जाता है, जैसे-
इथियोपिया – मुस्लिम 32.8%
जनसंख्या के 40% के स्तर से ऊपर पहुँच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याऐं, आतंकवादी कार्रवाईयाँ आदि चलने लगते हैं, जैसे –
बोस्निया – मुस्लिम 40%
चाड – मुस्लिम 54.2%
लेबनान – मुस्लिम 59%
जब मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर हो जाती है तब अन्य धर्मावलंबियों का “जातीय सफ़ाया” शुरु किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोड़ना, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है, जैसे –
अल्बानिया – मुस्लिम 70%
मलेशिया – मुस्लिम 62%
कतर – मुस्लिम 78%
सूडान – मुस्लिम 75%
जनसंख्या के 80% से ऊपर हो जाने के बाद तो सत्ता/शासन प्रायोजित जातीय सफ़ाई की जाती है, अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है, सभी प्रकार के हथकण्डे/हथियार अपनाकर जनसंख्या को 100% तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है, जैसे –
बांग्लादेश – मुस्लिम 83%
मिस्त्र – मुस्लिम 90%
गाज़ा पट्टी – मुस्लिम 98%
ईरान – मुस्लिम 98%
ईराक – मुस्लिम 97%
जोर्डन – मुस्लिम 93%
मोरक्को – मुस्लिम 98%
पाकिस्तान – मुस्लिम 97%
सीरिया – मुस्लिम 90%
संयुक्त अरब अमीरात – मुस्लिम 96%
बनती कोशिश पूरी 100% जनसंख्या मुस्लिम बन जाने, यानी कि दार-ए-स्सलाम होने की स्थिति में वहाँ सिर्फ़ मदरसे होते हैं और सिर्फ़ कुरान पढ़ाई जाती है और उसे ही अन्तिम सत्य माना जाता है, जैसे –
अफ़गानिस्तान – मुस्लिम 100%
सऊदी अरब – मुस्लिम 100%
सोमालिया – मुस्लिम 100%
यमन – मुस्लिम 100%
आज की स्थिति में मुस्लिमों की जनसंख्या समूचे विश्व की जनसंख्या का 22-24% है, लेकिन ईसाईयों, हिन्दुओं और यहूदियों के मुकाबले उनकी जन्मदर को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस शताब्दी के अन्त से पहले ही मुस्लिम जनसंख्या विश्व की 50% हो जायेगी (यदि तब तक धरती बची तो)… भारत में कुल मुस्लिम जनसंख्या 15% के आसपास मानी जाती है, जबकि हकीकत यह है कि उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल के कई जिलों में यह आँकड़ा २० से ३०% तक पहुँच चुका है… अब देश में आगे चलकर क्या परिस्थितियाँ बनेंगी यह कोई भी (“सेकुलरों” को छोड़कर) आसानी से सोच-समझ सकता है…
(सभी सन्दर्भ और आँकड़े : डॉ पीटर हैमण्ड की पुस्तक “स्लेवरी, टेररिज़्म एण्ड इस्लाम – द हिस्टोरिकल रूट्स एण्ड कण्टेम्पररी थ्रेट तथा लियोन यूरिस – “द हज”, से साभार)

Sunday, July 11, 2010

नई दिशायें

अंक-1 नई दिशायें


रविन्द्र कुमार द्विवेदी

वातावरण में शाम की कालिमा अपने पंख फैलाने को आतुर थी। पवन का मन्द-मन्द झोंका मौसम को सुहाना बना रहा था। कनाट प्लेस के चैराहे पर एक कोने के एकांत में खड़े हमीद और अकबर बातचीत में मशगूल थे। अकस्मात अकबर थोड़ा जोश में आते हुए बोला-

‘अगर तूने ऐसा कर दिखाया तो मैं तुझे मान जाऊंगा, अपना नाम बदल लूंगा।’ हमीद उसकी बात सुनकर खिलखिलाते हुए हँस पड़ता है। हमीद की हँसी अकबर को बहुत चुभती है। वो जोष में होष खोते हुए चीख पड़ता है-

‘चुप, चुप हो जा हमीद।’

हमीद उस पर व्यंग्य कसता है- ‘किस-किस को चुप करायेगा अकबर? तेरी ऐसी बचकानी बात जो भी सुनेगा, तुझ पर बेपनाह हँसेगा।’ हमीद की बात सुनते ही अकबर की आँखें हैरत से फैल जाती हैं। वो अपनी चीख दबाते हुए कहता है-

‘ मैंने ऐसा क्या कह दिया हमीद ’?

हमीद अकबर को गौर से देखते हुए बोला-

‘पहले ये बता, तू अपना कौन-सा नाम बदलने की बात कर रहा है? जल्दी बता।’

‘मेरा एक ही नाम है-अकबर!’

‘लेकिन ये तो पहले से ही बदला हुआ नाम है। फिर इस नाम पर इतना घमण्ड क्यों दिखा रहा है। हुँह........ बदले हुए नाम पर मर्दानगी। अरे, ये मर्दानगी नहीं, नपुंसकता है।’ कहते ही हमीद उसे नफरत से देखता है। अकबर का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वो गुस्से में काँपते हुए कहता है-

‘मेरे जमीर पर तोहमत मत लगा हमीद, वरना तेरे हक में अच्छा नहीं होगा।’

‘क्या अच्छा नहीं होगा? क्या पहले तेरा नाम राम आसरे नहीं था।?’ हमीद कटाक्ष करते हुए बोला।

‘था, लेकिन तब मैं सनातनी था। अब सच्चा मुसलमान हूँ। खुदा की इबादत करता हूं।’ अकबर बेबाकी से बोला। हमीद के चेहरे पर कुटिल मुस्कान फैल जाती है। वो फिर व्यंग्य कसता है- ‘यानी नाम के साथ मजहब और चेहरा भी बदल जाता है। मूर्तिपूजक, मूर्तिभंजक बन गया। राम आसरे के नाम से मूंछे ऊंची रखने वाला मूंछे नीची करा बैठा। अरे, जो कौम का न रहा, जिसमें वो पैदा हुआ, तो हमारे मजहब से क्या वफादारी दिखायेगा।’

हमीद की बात सुनकर अकबर के मन में तूफान मच जाता है। यह क्या सुन लिया उसनें। वो सच्चे मन से इस्लाम में दीक्षित हुआ मिशनरी वालों ने भरोसा दिलाया कि उनक मजहब में सबको बराबरी का दर्जा मिला हुआ है। लेकिन यह क्या था? यहाँ तो उसका उपहास उड़ाया जा रहा है। क्या यही है बराबरी का दर्जा?

हमीद ने मानो उसके मन के तूफान को समझ लिया। उसने बड़ी कुटिलता से कहा- हाँ, यही है बराबरी का दर्जा। गैर इस्लामियों को इस्लाम में लाने के बाद सबको तुम्हारी जैसा बराबरी का दर्जा दिया जाता है।’

‘तो फिर वो सब्जबाग, जो मुझे दिखाये गये थे?’ अकबर हकबका कर बोला। हमीद पहले से भी ज्यादा कुटिलता से बोला-

‘सब्जबाग न दिखाये जाते तो तुम हमारा मजहब कबूल नहीं करते। अब समझे।’

‘यानी मेरे साथ धोखा हुआ।’

‘तुम्हारे लिये धोखा, लेकिन हमारे लिए मजहब की खिदमत’ हमीद ने फख्र्र से कहा। अकबर के चेहरे पर आते-जाते भावों का जलजला उमड़ेने लगा। उसने मन में सोचा-

‘इतना बड़ा धोखा। हमारे पुरखे सच ही कहा करते थे। यह सब विधर्मी हैं। इन पर कभी विश्वाश नहीं करना चाहिये, लेकिन मैं पुरखों के ये वचन भूल गया। वरना इन जालिमों के हाथ हपना नाम और धर्म कभी न गँवाता।’ हमीद अकबर के चेहरे को पढ़ते हुए बोला-

‘अब सोचकर क्या फायदा अकबर। सोचना था तो हमारा मजहब कबूल करने से पहले सोचते’ अकबर उसकी बात सुनकर गंभीर स्वर में कहता है-

‘सच कहा हमीद, बिलकुल सच कहा। लेकिन तुमने अपने मजहब की खिदमत की जो बात कही, वो मेरी समझ में नहीं आई।

‘तुम अपने पुरखों की बात भूल सकते हो अकबर, लेकिन हम कभी नहीं भूलते।’ हमीद जोशीले स्वर में बोला-

‘जब हिन्दुस्तान आजाद हुआ था तो हमारे पुरखों ने कहा था-‘लड़कर लिया है पाकिस्तान- हँस कर लेंगे हिन्दुस्तान।’

हमीद की बात सुनकर अकबर चैंका उसके मुँह से अकस्मात निकला- ‘क्या?’

हमीद मुस्कुराया और बोला- ‘इसी लिए तो, हम तुम जैसे गैर इस्लामियों पर डोरे डालते हैं। लोभ-लालच देते हैं और अपने मजहब में शामिल कर लेते हैं। हम चाहते हैं कि हिन्द में हमारे मजहब के लोगों की आबादी सनातनियों से अधिक हो जाये। जानते हो न अकबर, तब क्या होगा?’

अकबर का चेहरा हमीद की बातें सुनकर एकदम निस्तेज हो गया। उसे अपने उपर गुस्सा आने लगा कि वो उनके बहकावे में आया ही क्यों? पर अब क्या हो सकता था। सनातनियों ने उसे विधर्मी घोषित करके हमेषा के लिए उससे नाता तोड़ लिया था। इन विधर्मियों के साथ घुटते दम से वो कब तक जी पायेगा? आह! ये उससे कैसा पाप हो गया? अकबर की आत्मा उसे कचोटती हुई लहूलुहान करने लगी। अन्त में अकबर हिम्मत जुटाते हुए बोला-

‘क्या होगा?’

‘हम हिन्दुस्तान में इस्लामी हुकूमत कायम कर देंगे। फिर दिल्ली से लाहौर तक हमारे मजहब की हुकूमत होगी। हिन्द की धरती पर वो ही रहेगा, जो खुदा की इबादत करेगा।’ कहते-कहते हमीद कहकहा लगाने लगा। उसके कहकहे अकबर के कानों में शीषा बनकर पिघलने लगे। उसे लगा कि एक साथ सैकड़ों हमीद कहकहा लगा रहे हैं। उसे अपने कानों में पिघलता शीषा सहन नहीं हुआ। वो अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर चीख उठा-

‘बस करो हमीद, बस करो। वरना मैं इसी समय मैं तुम्हारा कत्ल कर दूंगा।’

अकबर के चीखते ही हमीद के कहकहे रूक गये। एकदम सन्नाटा छा गया और घिर आई शाम के सन्नाटे में विलीन होकर वातावरण को बड़ा भयानक बना दिया। अकबर ने अपने कान से हाथ हटाये और हमीद की ओर देखा। हमीद वहाँ से जा चुका था। अकबर की आँखों में आँसू भर आये। उसे सनातन धर्म से कटने पर आत्मग्लानि होने लगी। शायद वो आँसू पष्चाताप के आँसू थे। वो सनातनी होना चाहता था, पर क्या सनातनी विधर्मी को पुनः अपनायेंगे? अकबर एक विचित्र चैराहे पर खड़ा था। चैराहे के सारे रास्ते अंधकार में डूबे हुये थे। उसे कुछ सुझाई नहीं दे रहा था कि वो किस रास्ते पर आगे बढ़े। तभी एक रास्ते से उम्मीद की एक किरण स्वयं उसके पास चलकर पहुँची। उम्मीद की वो किरण दिल्ली उच्च न्यायालय की एक अधिवक्ता संजया शर्मा थी। वो अकबर के पास पहुंची और बोली- ‘मैंने तुम दोनों की सारी बातें सुनी। मेरा विचार है कि तुम पुनः पुराने घर जाने का मन बना चुके हो।’

अकबर ने उस अप्रतिम देवी स्वरूपा को एकटक देखते हुए ‘हाँ’ में गर्दन हिलायी।

‘मार्ग नहीं सुझाई दे रहा।’ वो फिर बोली-

उसकी वाणी से मंत्रमुग्ध अकबर के मुंह से बड़ी मुष्किल से निकला-हाँ.....।

‘मैं जिस रास्ते से आई हूं, उसी रास्ते से आगे बढ़ जाओ’

‘वो रास्ता तो स्वामी नारायण मन्दिर जाता है।’ अकबर बोला।

‘हाँ, मन्दिर के पास हिन्दू महासभा भवन है। भवन में स्वामी चक्रपाणि देव जी महाराज से मिलना। वही तुम्हारा मार्गदर्षन करेंगे। तुम्हारी हर समस्या, हर शंका समाधान है उनके पास। बड़ा ही दिव्य तेज है उनके मुखमण्डल पर। हमस सब उन्हें श्रद्धा और आदर से ‘स्वामी जी’ कहते हैं। अगर उन्हें प्रसन्न करना है तो जाते ही ‘जय हिन्दू राष्ट्र’ के उद्घोष के साथ श्रद्धा से उनके चरण स्पर्ष कना। निष्चित रूप से वो तुम्हारा कल्यांण करेंगे।’

अकबर मानो सोते से जागा और बोला ‘षायद मैंने आपका चेहरा पहले कहीं देखा है। पर कहाँ? याद नहीं आ रहा।’

अकबर की बात पर मुस्कुराते हुए बोली-‘जरूर किसी कोर्ट कचहरी में देखा होगा। मैं एक वकील हूँ।’

वकील सुनकर अकबर चैंका।

‘त-तुम वकील हो। वही वकील जो फोकस चैनल पर फोकस काउंसिल में टी.वी. पर आती है।

‘ओह, तो तुमने मुझे टी.वी. पर देखा है। हाँ, मैं वही हूँ, एडवोकेट संजया।’ संजया ने अपने पर्स से एक विजिटिंग कार्ड निकालकर देते हुए कहा-

‘ये लो, कभी जरूरत पड़े तो मिल सकते हो। और हाँ, और स्वामी जी को मेरा प्रणाम जरूर कहना।’

‘जी, जरूर कह दूंगा।’ अकबर गर्दन हिलाते हुए बोला। लेकिन उसकी प्रतिक्रिया देखे बिना वो जा चुकी थी। अकबर स्वामी नारायण मन्दिर के रास्ते पर चल पड़ा।

बीस मिनट बाद अकबर स्वामी जी के सामने विराजमान था। स्वामीजी बड़े ही ध्यानपूर्वक अकबर की बात ध्यानपूर्वक सुनी और मुस्कुराते हुए बोले-

‘सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नही कहते बच्चा। तुम जीवन के मार्ग पर राह भटक गये थे। लेकिन तुम अब पुनः सही मार्ग पर आ गये हो। तुम्हारा सनातन समाज में स्वागत है। हम तुम्हारा शुद्धिकरण करेंगे।’

‘सच स्वामी जी मैं फिर से सनातनी होने का गौरव पा सकूंगा।’ अकबर खुष होते हुए बोला।

‘अवष्य, तुम्हारा नाम क्या है बच्चा।’ स्वामी जी की अमृत वाणी बरसने लगी अकबर उसमें भीगने लगा। उसके होंठ बरबस ही फड़फड़ा उठे।

‘अ......कबर’

‘भूल जाओ इस नाम को’ ये तुम्हारा छद्म नाम है। हम तुमसे तुम्हारा सनातनी नाम पूछ रहे हैं।’

राम आसरे बाल्मीकि..........

‘ओह... तो तुम बाल्मीकि समाज के गौरव हो।’

‘ज........जी स्वामी जी... ल...लेकिन मैं मार्ग भटक गया था।’

दोनों के बीच वार्तालाप चलता रहा। वार्तालाप के बाद स्वामी जी ने उससे ग्यारह बार गायत्री मंत्र का जाप करवाया। उस पर गंगा जल छिड़क कर उसे शुद्ध किया। अन्य कई वैदिक क्रियाओं के पष्चात अकबर फिर से सनातनी बन गया। उसकी जिन्दगी में फिर से सवेरा हो गया। उसके जीवन को नई दिअंक-1 नई दिशायें


रविन्द्र कुमार द्विवेदी

वातावरण में शाम की कालिमा अपने पंख फैलाने को आतुर थी। पवन का मन्द-मन्द झोंका मौसम को सुहाना बना रहा था। कनाॅट प्लेस के चैराहे पर एक कोने के एकांत में खड़े हमीद और अकबर बातचीत में मशगूल थे। अकस्मात अकबर थोड़ा जोश में आते हुए बोला-

‘अगर तूने ऐसा कर दिखाया तो मैं तुझे मान जाऊंगा, अपना नाम बदल लूंगा।’ हमीद उसकी बात सुनकर खिलखिलाते हुए हँस पड़ता है। हमीद की हँसी अकबर को बहुत चुभती है। वो जोष में होष खोते हुए चीख पड़ता है-

‘चुप, चुप हो जा हमीद।’

हमीद उस पर व्यंग्य कसता है- ‘किस-किस को चुप करायेगा अकबर? तेरी ऐसी बचकानी बात जो भी सुनेगा, तुझ पर बेपनाह हँसेगा।’ हमीद की बात सुनते ही अकबर की आँखें हैरत से फैल जाती हैं। वो अपनी चीख दबाते हुए कहता है-

‘ मैंने ऐसा क्या कह दिया हमीद ’?

हमीद अकबर को गौर से देखते हुए बोला-

‘पहले ये बता, तू अपना कौन-सा नाम बदलने की बात कर रहा है? जल्दी बता।’

‘मेरा एक ही नाम है-अकबर!’

‘लेकिन ये तो पहले से ही बदला हुआ नाम है। फिर इस नाम पर इतना घमण्ड क्यों दिखा रहा है। हुँह........ बदले हुए नाम पर मर्दानगी। अरे, ये मर्दानगी नहीं, नपुंसकता है।’ कहते ही हमीद उसे नफरत से देखता है। अकबर का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वो गुस्से में काँपते हुए कहता है-

‘मेरे जमीर पर तोहमत मत लगा हमीद, वरना तेरे हक में अच्छा नहीं होगा।’

‘क्या अच्छा नहीं होगा? क्या पहले तेरा नाम राम आसरे नहीं था।?’ हमीद कटाक्ष करते हुए बोला।

‘था, लेकिन तब मैं सनातनी था। अब सच्चा मुसलमान हूँ। खुदा की इबादत करता हूं।’ अकबर बेबाकी से बोला। हमीद के चेहरे पर कुटिल मुस्कान फैल जाती है। वो फिर व्यंग्य कसता है- ‘यानी नाम के साथ मजहब और चेहरा भी बदल जाता है। मूर्तिपूजक, मूर्तिभंजक बन गया। राम आसरे के नाम से मूंछे ऊंची रखने वाला मूंछे नीची करा बैठा। अरे, जो कौम का न रहा, जिसमें वो पैदा हुआ, तो हमारे मजहब से क्या वफादारी दिखायेगा।’

हमीद की बात सुनकर अकबर के मन में तूफान मच जाता है। यह क्या सुन लिया उसनें। वो सच्चे मन से इस्लाम में दीक्षित हुआ मिशनरी वालों ने भरोसा दिलाया कि उनक मजहब में सबको बराबरी का दर्जा मिला हुआ है। लेकिन यह क्या था? यहाँ तो उसका उपहास उड़ाया जा रहा है। क्या यही है बराबरी का दर्जा?

हमीद ने मानो उसके मन के तूफान को समझ लिया। उसने बड़ी कुटिलता से कहा- हाँ, यही है बराबरी का दर्जा। गैर इस्लामियों को इस्लाम में लाने के बाद सबको तुम्हारी जैसा बराबरी का दर्जा दिया जाता है।’

‘तो फिर वो सब्जबाग, जो मुझे दिखाये गये थे?’ अकबर हकबका कर बोला। हमीद पहले से भी ज्यादा कुटिलता से बोला-

‘सब्जबाग न दिखाये जाते तो तुम हमारा मजहब कबूल नहीं करते। अब समझे।’

‘यानी मेरे साथ धोखा हुआ।’

‘तुम्हारे लिये धोखा, लेकिन हमारे लिए मजहब की खिदमत’ हमीद ने फख्र्र से कहा। अकबर के चेहरे पर आते-जाते भावों का जलजला उमड़ेने लगा। उसने मन में सोचा-

‘इतना बड़ा धोखा। हमारे पुरखे सच ही कहा करते थे। यह सब विधर्मी हैं। इन पर कभी विश्वाश नहीं करना चाहिये, लेकिन मैं पुरखों के ये वचन भूल गया। वरना इन जालिमों के हाथ हपना नाम और धर्म कभी न गँवाता।’ हमीद अकबर के चेहरे को पढ़ते हुए बोला-

‘अब सोचकर क्या फायदा अकबर। सोचना था तो हमारा मजहब कबूल करने से पहले सोचते’ अकबर उसकी बात सुनकर गंभीर स्वर में कहता है-

‘सच कहा हमीद, बिलकुल सच कहा। लेकिन तुमने अपने मजहब की खिदमत की जो बात कही, वो मेरी समझ में नहीं आई।

‘तुम अपने पुरखों की बात भूल सकते हो अकबर, लेकिन हम कभी नहीं भूलते।’ हमीद जोशीले स्वर में बोला-

‘जब हिन्दुस्तान आजाद हुआ था तो हमारे पुरखों ने कहा था-‘लड़कर लिया है पाकिस्तान- हँस कर लेंगे हिन्दुस्तान।’

हमीद की बात सुनकर अकबर चैंका उसके मुँह से अकस्मात निकला- ‘क्या?’

हमीद मुस्कुराया और बोला- ‘इसी लिए तो, हम तुम जैसे गैर इस्लामियों पर डोरे डालते हैं। लोभ-लालच देते हैं और अपने मजहब में शामिल कर लेते हैं। हम चाहते हैं कि हिन्द में हमारे मजहब के लोगों की आबादी सनातनियों से अधिक हो जाये। जानते हो न अकबर, तब क्या होगा?’

अकबर का चेहरा हमीद की बातें सुनकर एकदम निस्तेज हो गया। उसे अपने उपर गुस्सा आने लगा कि वो उनके बहकावे में आया ही क्यों? पर अब क्या हो सकता था। सनातनियों ने उसे विधर्मी घोषित करके हमेषा के लिए उससे नाता तोड़ लिया था। इन विधर्मियों के साथ घुटते दम से वो कब तक जी पायेगा? आह! ये उससे कैसा पाप हो गया? अकबर की आत्मा उसे कचोटती हुई लहूलुहान करने लगी। अन्त में अकबर हिम्मत जुटाते हुए बोला-

‘क्या होगा?’

‘हम हिन्दुस्तान में इस्लामी हुकूमत कायम कर देंगे। फिर दिल्ली से लाहौर तक हमारे मजहब की हुकूमत होगी। हिन्द की धरती पर वो ही रहेगा, जो खुदा की इबादत करेगा।’ कहते-कहते हमीद कहकहा लगाने लगा। उसके कहकहे अकबर के कानों में शीषा बनकर पिघलने लगे। उसे लगा कि एक साथ सैकड़ों हमीद कहकहा लगा रहे हैं। उसे अपने कानों में पिघलता शीषा सहन नहीं हुआ। वो अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर चीख उठा-

‘बस करो हमीद, बस करो। वरना मैं इसी समय मैं तुम्हारा कत्ल कर दूंगा।’

अकबर के चीखते ही हमीद के कहकहे रूक गये। एकदम सन्नाटा छा गया और घिर आई शाम के सन्नाटे में विलीन होकर वातावरण को बड़ा भयानक बना दिया। अकबर ने अपने कान से हाथ हटाये और हमीद की ओर देखा। हमीद वहाँ से जा चुका था। अकबर की आँखों में आँसू भर आये। उसे सनातन धर्म से कटने पर आत्मग्लानि होने लगी। शायद वो आँसू पष्चाताप के आँसू थे। वो सनातनी होना चाहता था, पर क्या सनातनी विधर्मी को पुनः अपनायेंगे? अकबर एक विचित्र चैराहे पर खड़ा था। चैराहे के सारे रास्ते अंधकार में डूबे हुये थे। उसे कुछ सुझाई नहीं दे रहा था कि वो किस रास्ते पर आगे बढ़े। तभी एक रास्ते से उम्मीद की एक किरण स्वयं उसके पास चलकर पहुँची। उम्मीद की वो किरण दिल्ली उच्च न्यायालय की एक अधिवक्ता संजया शर्मा थी। वो अकबर के पास पहुंची और बोली- ‘मैंने तुम दोनों की सारी बातें सुनी। मेरा विचार है कि तुम पुनः पुराने घर जाने का मन बना चुके हो।’

अकबर ने उस अप्रतिम देवी स्वरूपा को एकटक देखते हुए ‘हाँ’ में गर्दन हिलायी।

‘मार्ग नहीं सुझाई दे रहा।’ वो फिर बोली-

उसकी वाणी से मंत्रमुग्ध अकबर के मुंह से बड़ी मुष्किल से निकला-हाँ.....।

‘मैं जिस रास्ते से आई हूं, उसी रास्ते से आगे बढ़ जाओ’

‘वो रास्ता तो स्वामी नारायण मन्दिर जाता है।’ अकबर बोला।

‘हाँ, मन्दिर के पास हिन्दू महासभा भवन है। भवन में स्वामी चक्रपाणि देव जी महाराज से मिलना। वही तुम्हारा मार्गदर्षन करेंगे। तुम्हारी हर समस्या, हर शंका समाधान है उनके पास। बड़ा ही दिव्य तेज है उनके मुखमण्डल पर। हमस सब उन्हें श्रद्धा और आदर से ‘स्वामी जी’ कहते हैं। अगर उन्हें प्रसन्न करना है तो जाते ही ‘जय हिन्दू राष्ट्र’ के उद्घोष के साथ श्रद्धा से उनके चरण स्पर्ष कना। निष्चित रूप से वो तुम्हारा कल्यांण करेंगे।’

अकबर मानो सोते से जागा और बोला ‘षायद मैंने आपका चेहरा पहले कहीं देखा है। पर कहाँ? याद नहीं आ रहा।’

अकबर की बात पर मुस्कुराते हुए बोली-‘जरूर किसी कोर्ट कचहरी में देखा होगा। मैं एक वकील हूँ।’

वकील सुनकर अकबर चैंका।

‘त-तुम वकील हो। वही वकील जो फोकस चैनल पर फोकस काउंसिल में टी.वी. पर आती है।

‘ओह, तो तुमने मुझे टी.वी. पर देखा है। हाँ, मैं वही हूँ, एडवोकेट संजया।’ संजया ने अपने पर्स से एक विजिटिंग कार्ड निकालकर देते हुए कहा-

‘ये लो, कभी जरूरत पड़े तो मिल सकते हो। और हाँ, और स्वामी जी को मेरा प्रणाम जरूर कहना।’

‘जी, जरूर कह दूंगा।’ अकबर गर्दन हिलाते हुए बोला। लेकिन उसकी प्रतिक्रिया देखे बिना वो जा चुकी थी। अकबर स्वामी नारायण मन्दिर के रास्ते पर चल पड़ा।

बीस मिनट बाद अकबर स्वामी जी के सामने विराजमान था। स्वामीजी बड़े ही ध्यानपूर्वक अकबर की बात ध्यानपूर्वक सुनी और मुस्कुराते हुए बोले-

‘सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नही कहते बच्चा। तुम जीवन के मार्ग पर राह भटक गये थे। लेकिन तुम अब पुनः सही मार्ग पर आ गये हो। तुम्हारा सनातन समाज में स्वागत है। हम तुम्हारा शुद्धिकरण करेंगे।’

‘सच स्वामी जी मैं फिर से सनातनी होने का गौरव पा सकूंगा।’ अकबर खुष होते हुए बोला।

‘अवष्य, तुम्हारा नाम क्या है बच्चा।’ स्वामी जी की अमृत वाणी बरसने लगी अकबर उसमें भीगने लगा। उसके होंठ बरबस ही फड़फड़ा उठे।

‘अ......कबर’

‘भूल जाओ इस नाम को’ ये तुम्हारा छद्म नाम है। हम तुमसे तुम्हारा सनातनी नाम पूछ रहे हैं।’

राम आसरे बाल्मीकि..........

‘ओह... तो तुम बाल्मीकि समाज के गौरव हो।’

‘ज........जी स्वामी जी... ल...लेकिन मैं मार्ग भटक गया था।’

दोनों के बीच वार्तालाप चलता रहा। वार्तालाप के बाद स्वामी जी ने उससे ग्यारह बार गायत्री मंत्र का जाप करवाया। उस पर गंगा जल छिड़क कर उसे शुद्ध किया। अन्य कई वैदिक क्रियाओं के पष्चात अकबर फिर से सनातनी बन गया। उसकी जिन्दगी में फिर से सवेरा हो गया। उसके जीवन को नई दिशा मिल गई।

गतांक से आगे --------

Tuesday, June 22, 2010

आर0टी0आई0 कार्यकर्ता ने केन्द्रीय सूचना आयोग में अपील दायर की

श्रीराम अधार फाउण्डेशन के आर0टी0आई0 कार्यकर्ता राजीव कुमार(पत्रकार ) ने पुलिस मुख्यालय के
जन सूचना अधिकारी से मांगी गई जानकारी आधा-अधूरी मिलने और वास्तविक तथ्यों को छिपाने का
का प्रयास करने के विरोध में केन्द्रीय सूचना आयोग के जनसूचना आयुक्त के समक्ष अपील दायर की
है।
आज जारी बयान में राजीव कुमार ने बताया कि बिन्दापुर पुलिस ने उनकी शिकायत पर संज्ञान
लेने की जगह उन्हीं को प्रताड़ित किया, जिस पर अखिल भारत हिन्दू महासभा की ओर से पुलिस
आयुक्त को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन पर पुलिस मुख्यालय द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी पाने
के लिए राजीव कुमार ने आर0टी0आई0 दायर की थी।

राजीव कुमार ने आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस मुख्यालय की ओर से आधी-अधूरी जानकारी
भेजी गई और वास्तविक तथ्यों को छिपाया गया। पुलिस मुख्यालय के जनसूचना अधिकारी से
निराश होकर राजीव कुमार ने केन्द्रीय सूचना आयोग की शरण ली है।

राजीव ने जारी बयान में उम्मीद जताई है कि केन्द्रीय सूचना आयोग के माध्यम से उन्हें सही
जानकारी हासिल होगी। बयान में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सूचना आयोग भी सही जानकारी
दिलवाने में विफल रहा तो वो दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण लेने पर बाध्य होंगे।

Friday, June 18, 2010

हिन्दुओं और मुसलमानों में भेदभाव देश के लिए घातक -द्विवेदी

हिन्दुओं और मुसलमानों में भेदभाव देश के लिए घातक -द्विवेदी

अखिल भारत हिन्दू महासभा दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष रविन्द्र कुमार
द्विवेदी ने अमरनाथा यात्रा और माता वैष्णों देवी यात्रा पर जाने
वाले हिन्दू श्रद्धालुओं से विशेष टैक्स लेने का निर्णय लेने पर केन्द्र
सरकार से जम्मू-कश्मीर सरकार को बर्खास्त करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि हिन्दू श्रद्धालुओं से भारी टैक्स वसूल करके मुस्लिम
समाज पर सब्सीडी के नाम पर लुटाई जा रही धनराशी के भेदभाव
को हिन्दू महासभा किसी कीमत पर सहन नहीं करेगी और अपनी
मांगों के समर्थन में हिन्दू समाज के सहयोग से विराट जन आंदोलन
शुरू करेगी। श्री द्विवेदी ने आज हस्तसाल विधानसभा मण्डल के उत्तम
नगर में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन को मुख्य अतिथि के पद से संबोधित
कर रहे थे।

श्री द्विवेदी ने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और विशेष
राज्य का दर्जा तुरन्त समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि मुस्लिम
तुष्टिकरण के नाम पर हिन्दुओं और मुसलमानों में भेदभाव करना राष्ट्र
की एकता अखण्डता के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि
हिन्दुओं से अनाप-शनाप टैक्स वसूलकर मुसलमानों पर लुटाने का
दुस्साहस देश में अघोषित इस्लाम शासन को लागू करने का प्रयास है,
जो हिन्दू समाज के अस्तित्व को समाप्त करने गहरा षणयंत्र प्रतीत
होता है।

श्री द्विवेदी ने कहा कि इस षणयंत्र को हिन्दू स्वराज्य की स्थापना के बिना विफल
नहीं किया जा सकता। उन्होंने भारी संख्या में उपस्थित हिन्दू प्रतिनिधियों को हिन्दू
स्वराज्य की स्थापना का संकल्प दिलाया।

हिन्दू महासभा की प्रदेश कार्यकारी अध्यक्षा एडोवोकेट संजया शर्मा ने अपने संबोधन
में कांग्रेस और भाजपा पर एक साथ निशाना साधते हुए उनकी नीतियों और आचरण
को घोर हिन्दू विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम
पर हिन्दुत्व पर सामने से प्रहार करती है तो भाजपा हिन्दू समाज की हितैषी
बनकर हिन्दुत्व की पीठ में पीछे से छूरा भोंकती है। एडोवोकेट संजया ने हिन्दू
जनसमुदाय से कांग्रेस और भाजपा के हिन्दू विरोधी षणयंत्रों से सावधान
रहते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज के नेतृत्व में हिन्दू महासभा की
नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने और राष्ट्र को मजबूत बनाने का
आह्वान किया।

सम्मेलन में वरिष्ठ प्रदेश महामंत्री रोहित राघव ने कार्यक्रम संयोजक अजय वर्मा को दिल्ली
प्रदेश का मंत्री मनोनीत करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा। उन्होंने कहा कि अजय वर्मा
के दायित्व संभालने से दिल्ली में हिन्दू महासभा का संगठनात्मक ढांचा मजबूत होगा
और नगर निगम चुनाव 2012 की तैयारियों में मदद मिलेगी।

सम्मेलन की अध्यक्षता हस्तसाल विधान सभा मण्डल के अध्यक्ष विष्णु प्रकाश
दूबे ने की।

Tuesday, May 4, 2010

तिमारपुर पुलिस की हमलावरों से सांठगांठ

तिमारपुर पुलिस की हमलावरों से सांठगां

खौफनाक चेहरा पुलिस का उजागर हुआ

राजीव कुमार
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तीस हजारी की एक अदालत ने अपराधियों के विरूद्ध सही संज्ञान न लेने पर नाराजगी जताते हुए थाना तिमारपुर,दिल्ली पुलिस को 15 मई,2010 को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह मामला तिमारपुर की संजय बस्ती में रहने वाले अखिल भारत हिन्दू महासभा के मंडल मंत्री रमेश रावल का है। तीस हजारी अदालत में रमेश रावल की पत्नी अनीता की ओर से एडोवोकेट संजया शर्मा ने एक पिटीशन दायर की थी।
यूनिक लीगल सोल्यूशन्स की चेयर पर्सन एडोवोकेट संजया शर्मा ने एक बताया कि नरेश उर्फ भोंपा, इन्द्रजीत, चरन देवी, महेन्द्र आदि नौ हमलावरों ने रमेश रावल के परिवार पर जानलेवा हमला किया था। हमले में रमेश की बेटी पर मिट्टी का तेल डालकर जलाने का प्रयास किया गया था, जबकि उसके बेटे पर लोहे की राड से वार करने से सिर में 12 टांके आये थे और वो मरने से बाल-बाल बचा था।
एडोवोकेट संजया ने बताया कि थाना तिमारपुर में लिखित शिकायत देने के बावजूद पुलिस ने आरोपियों को बचाने में अपनी वर्दी की ताकत का इस्तेमाल किया। पुलिस लगातार रमेश रावल और अनीता पर हमलावरों से समझौता करने का दबाव डालती रही, ताकि हमलावरों के हितों की रक्षा की जा सके। लेकिन अनीता ने एडोवोकेट संजया से संपर्क कर तीस हजारी न्यायालय में पिटीशन दायर की। 30 अप्रैल को न्यायधीश जे0पी0 नाहर की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जताते हुए पुलिस को 15 मई को हाजिर होकर मामले की पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश जारी किया।
हिन्दू स्वराज्य सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र द्विवेदी का कहना है कि हमलावर संजय बस्ती में जुए का सट्टा चलाते हैं व अवैध शराब का कारोबार करते हैं। इनके माध्यम से स्थानिय पुलिस की मोटी कमाई होती है। यही कारण है कि पुलिस हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई नही कर रही है। क्योंकि इससे पुलिस के हाथ से आमदानी का एक मोटा जरिया खत्म हो जाएगा। इन पर विधि सम्मत धारा-307, धारा-308 का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। मगर स्थानिय पुलिस ने नौ हमलावरों में से केवल एक हमलावर महेंद्र और रमेश रावल तथा उनके बेटे सचिन के विरूद्ध धारा-307 का कलन्दरा बनाया।
29/04/10 को थाना तिमारपुर के सामने हमलावरों ने हिन्दू मजदूर सभा के अध्यक्ष कन्हैया लाल राय पर इन्द्रजीत के नेतृत्व में 12 बदमाशों ने घेर लिया और जानलेवा हमला किया। जिसकी पुलिस आयुक्त को हमला वाले दिन ही शिकायत भेजकर हमलावरों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की गई है।
थाना तिमारपुर पुलिस ने पिछले महीने थाने के लैंडलाइन से कन्हैयालाल के मोबाईल
पर फोन करके हमलावरों के खिलाफ की गई शिकायत वापस लेने अन्यथा जान से मारने की धमकी दी थी। इसकी तत्काल शिकायत पुलिस आयुक्त और पुलिस उपायुक्त अतिरिक्त को की गई थी। किन्तु आज तक दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई नही की गई।