रविन्द्र द्विवेदी
अयोध्या के सरयू तट पर कोरिया गणराज्य की महारानी 'हो' का जन्म स्थान स्मारक बना हुआ है। भाजपा
ने देश के हिन्दुओं को 'सौगन्ध राम की खाते है- हम मंदिर वहा बनायेंगे' का नारा दिया। कौन जानता था कि यह नारा सत्ता पाने
की कुंजी भर है। यर्थाथ में मंदिर निर्माण
से भाजपा का कोई नाता नही है। इसका आभास
उसी दिन मिल गया था, जब मंदिर निर्माण के मुद्दे पर भाजपा
ने सत्ता हासिल करने के बाद कोरिया गणराज्य की महारानी 'हो' का जन्म स्थान स्मारक बनाने पर सहमति प्रदान की ।
कोरिया गणराज्य ने उत्तर प्रदेश की सत्ता में आसीन भारत सरकार के सामने
अयोध्या के सम्पूर्ण विकास एवं उधोग धन्धों की स्थापना के लिए दो सौ करोड़ रूपये
की सहायता देने का प्रस्ताव रखा। इतना सुन्दर प्रस्ताव पाकर भाजपा सरकार गदगद हो गई।
इससे कुछ समय पहले ही भाजपा सरकार ने भाजपा सरकार ने 21 करोण रूपये मंजूर किये। भाजपा ने बहुत ज्यादा
सोच-विचार किये बिना ही कोरिया गणराज्य का प्रस्ताव मान लिया। कोरिया गणराज्य ने
भाजपा सरकार की सहमति हासिल होने के बाद अपने देश की महारानी का जन्म स्थान अयोध्या
हो गया और वहां पर रानी हो-जन्म स्थान स्मारक बनाने की शर्त रखी। इस शर्त के आगे
भाजपा मंदिर निर्माण का संकल्प भूल
गर्इ। वो कोरिया गणराज्य से मिलने वाले दो
सौ करोड़ रूपये हाथ से जाने नही देना चाहती थी। रानी हो के स्मारक के बदले दो सौ
करोड़ रूपये के समझौते में भाजपा के फायर
ब्राण्ड नेता विनय कटियार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभार्इ।
विनय कटियार तक यह योजना काग्रेंस
के प्रभावशाली स्थानी नेता निर्मल खत्री ने स्वंय को परदे के पीछे रख कर राजा
अयोध्या बिमलेन्द्र प्रताप सिंह के माध्यम से पहुंचार्इ थी। योजना में महारानी हो
की याद में अयोध्या को सिस्टर सिटी बनाने का फार्मूला शामिल था। योजना और फार्मूला का भाजपा के मुख्यमंत्री तक पहुंचाया गया।
उन्होंने सहमति देने में विलम्ब करना उचित नही समझा। सत्ता में थोड़ी बहुत खींचतान
के बाद योजना को अंतिम मंजूरी दे दी गर्इ।
भाजपा मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने तयशुदा कार्यक्रम तैयार कर दिया गया। तारिख
निशिचत कर दी गर्इ।
कोरिया गणराज्य से सौ
प्रतिनिधियों का शिष्ट मण्डल फैजाबाद पहुंचा और सामाजवदी पार्टी के जिलाध्यक्ष
अशोक सिंह के फैजाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक सिथत कृष्णा होटल में ठहरा। उनकी
आगवानी अयोध्या नगर पालिका की तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती चन्द्रकान्ती मिश्र ने की। सैद्धानितक तौर पर सरकार की ओर से
उन्होंने ही समझौते पर स्वीकृति प्रदान की। इसे 'अयोध्या-कोरिया सम्मेलन' का नाम दिया गया।
सम्मेलन दोपहर में समाप्त हुआ।
सम्मेलन के बाद कोरिया का सौ सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल फैजाबाद प्रशासन लाव लश्कर
के साथ सरयू तट के नया घाट पर राम कथा पार्क पहुंचा। वहीं पर महारानी हो के जन्म
स्थान स्मारक का शिलान्यास निश्चित हुआ
था। स्मारक के इस उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह को स्वंय आना था।
किन्तु किसी कारणवश वो नही पहुंच पाये। राजनाथ सिंह अपनी जगह तत्कालीन पर्यटन
राज्य मंत्री लल्लू सिंह को भेजा। लल्लू सिंह के साथ उस शिलान्यास कार्यक्रम में
कलराज मिश्र रमापति शास्त्री और शिवकान्त ओझा सहित प्रदेश सरकार के 11 मंत्री उपस्थित हुए।
शिलान्यास समारोह में भाजपा के फायर ब्राण्ड नेता विनय कटियार ने महारानी हो का
अयोध्या से रिश्ता जोड़ते हुए संभवत: एक काल्पनिक कहानी सुनार्इ।
करीब दो हजार साल पहले 'हो' का जन्म अयोध्या में हुआ बड़ी होने पर वो रोज सरयू
में नहाने जाती थी। नहाने के बाद उसे नौका सवारी का शौक था। नौका सवारी के दौरान
एक दिन तेज तूफान आया। तूफान में उसकी नौका भटक गई। कोरिया गणराज्य के महाराजा ने उसे देखा और उस पर
मोहित होकर उससे शादी कर ली महाराजा ने उनका नाम 'हो' रखा। महारानी हो ने कोरिया गणराज्य उत्तराधिकारी को जन्म दिया। बाद में वो
कोरिया की राजमाता के नाम से सुविख्यात हुर्इ।''
मनोरंजन के लिये इस कहानी में हर
तरह का मशाला है, लेकिन यथार्थ के धरातल पर यह कहानी गले से नीचे नही उतरती। कहानी पूरी तरह
कपोल-कल्पित नजर आती है। कहानी में न तो
अयोध्या में जन्म लेने के बाद कोरिया की इस राजमाता के भारतीय नाम का उल्लेख है और
न ही उनके मां-बाप के वंशावली का जिक्र है। सबसे ज्यादा समझ में न आने वाला तथ्य
यह है कि वो कौन सा काल था, जब से सरयू नदी अयोध्या से होकर कोरिया गणराज्य तक बहती थी। मेरी नजर में ऐसा
समय काल कभी था ही नही फिर भला तूफान में भटककर महारानी हो की नौका कोरिया गणराज्य
की सीमा में कैसे पहुंची होगी? क्या इसका जवाब विनय कटियार या भाजपा दे सकती है?
भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर उनका
भव्य मंदिर का निर्माण का मामला सन 1949 से चला आ रहा है। पुरातात्विक विभाग द्वारा उत्खनन में मिले समस्त प्रमाण
मंदिर के पक्ष में हैं। प्रमाणित हो चुके है कि वर्तमान में जहां रामलला विराजमान
हैं वहीं श्रीराम का जन्म स्थान गर्भगृह है। फिर भी वहां मंदिर निर्माण आरंभ नही
हो सका। हमारे आराध्य श्रीराम आज भी छप्परनुमा छोटे से कक्ष में विराजमान हैं।
भारत और सारी दुनिया के हिन्दुओं की भावनायें आहत हैं। लेकिन भाजपा एक कपोल-कल्पित
कहानी को आधार बनाकर, बिना सत्यता का प्रमाण लिये
सरयू तट पर एक विदेशी महारानी का जन्म स्थान स्मारक बना देती है। भगवान श्रीराम पर
विदेशी महारानी को महत्व देने का घृणित कार्य भाजपा जैसी छद्म हिन्दुत्व की पोषक
भाजपा ही कर सकती है। भाजपा ने लंबी जद्दोजेहद के बाद 200 करोड़ के बदले विदेशी महारानी का जन्म स्थान
स्मारक तो बता दिया लेकिन हिन्दू महासभा और साधू-संतों के विरोध ने विदेशी महारानी
की प्रतिमा और जन्म स्थान स्मारक पर आज तक नही लगने दिया।
विदेशी महारानी स्मारक निर्माण के
बदले प्रदेश भाजपा सरकार को मिले 200 करोड़ रूपये अयोध्या के विकास के लिये थे, वो धनराशि कहां गयी? उस धनराशि से अयोध्या का
विकास करवाया गया? अगर करवाया गया तो उस धनराशि से हुआ विकास कहां है? जान पड़ता है कि 200 करोड़ का घोटाला कर लिया गया? मैं अयोध्या की यात्रा करता
रहा हूं, वहां मुझे विकास की
कोर्इ वानगी नही आयी। विदेशी महारानी का जन्मस्थान स्मारक बनवाने के बाद भाजपा ने
श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण से किनारा कर लिया और शाइनिंग इइण्डिया का नारा
दिया। आगामी लोकसभा चुनाव के समय श्रीराम जन्मभूमि को घोषणा पत्र में शामिल करने
और चुनाव के बाद अपने एजेण्डे से बाहर निकालने का राजनीतिक खेल खेलती रही है।
वास्तव में भाजपा और आरएसएस का श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण से कोर्इ नाता
नही रहा।
सन 1949 से अखिल भारत हिन्दू महासभा न्यायालय में लड़ रही
है और वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में वही पैरवी कर रही है। भाजपा ने अपने जन्म
के बाद आरएसएस के सहयोग से हिन्दू महासभा को अपने विश्वास में लेकर मंदिर निर्माण
विषय का राजनीतिकरण कर दिया। हालांकि भाजपा और आरएसएस ने हिन्दू महासभा के साथ
न्यायिक विवाद में पैरवीकार बनने का भरसक प्रयास किया, लेकिन सफल नही हो सकी। हां, श्रीराम जन्मभूमि का राजनीतिकरण करके वे उत्तर
प्रदेश और केन्द्र की सत्ता हथियाने में जरूर कामयाब हो गयी।
उ0 प्र0 चुनाव 2012 में भाजपा ने एक बार फिर श्रीराम जन्मभूमि को अपने घोषणापत्र में शामिल किया,
लेकिन हिन्दू महासभा के
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भारतीय निर्वाचन आयोग में कटघरे में खड़ा कर आदर्श आचार संहिता
के उल्लंघन का नोटिस जारी करवा दिया। भाजपा में इससे छटपटाहट है और हिन्दू जनता का
ठीक से सामना नही कर पा रही है। वास्तव में नोटिस जारी होने से भाजपा बेनकाब हो
गयी है। भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण का संकल्प छोड़ने वाली, 200 करोड़ की एवज में विदेशी महारानी
का सरयू तट पर जन्म स्थान-स्मारक बनवाने वाली भाजपा हिन्दू महासभा के सामने बैकफुट
पर है। संभवत: यह भाजपा के पतन का आगाज है। भाजपा का पतन ही हिन्दू महासभा के
उत्थान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। भारत की हिन्दू राजनीति परिवर्तन के दौर से
गुजर रहा है। सन 2014 का लोकसभा चुनाव होंगे। हिन्दू महासभा राष्ट्रीय राजनीति के परिदृश्य पर भाजपा
को पछाड़ कर प्रमुख राजनीतिक शक्ति बनने और सत्ता हासिल करने की दिशा में तत्पर
है। आइये, इस गौरवशाली समय का
आगमन का स्वागत करने के महायज्ञ में हम दिल्ली विधान सभा चुनाव 2013 और लोकसभा चुनाव 2014
अपने वोट हिन्दू महासभा को
देने का संकल्प लें।
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