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Tuesday, June 16, 2015

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



            फिल्म निर्माता-निर्देशक व अखिल भारत हिन्दू महासभा के कद्दावर नेता डॉ0 संतोष राय ने कहा है कि गोडसे फिल्म पर अदालत द्वारा एकतरफा प्रतिबंध लगाना पूर्णतया गलत  है अदालत को बिना दूसरे पक्ष का निर्णय सुने बिन अपना निर्णय नही सुनाना चाहिये था।

            डॉ0 संतोष राय ने धमकी दी है कि गोडसे फिल्म को भारत में प्रदर्शित करने के लिये और ऊपर का अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे साथ में इस फिल्म को भारत में प्रदर्शित करने के लिये किसी भी हद तक जायेंगे अगर फिर भी बात नही बनी तो सात समुंदर पार विदेश में ‘‘गोडसे’’ फिल्म को प्रदर्शित करने से किसी भी कीमत पर पीछे नही हटेंगे।

            न्यायालय के इस तरह के एकतरफा निर्णय से सोशल मीडिया में न्यायालय के प्रति लोग अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। सोशल मीडिया में लोग इसे न्यायिक भ्रष्टाचार कह रहे हैं।

ज्ञात रहे कि गत बृहष्पतिवार को पुणे की एक अदालत ने नाथूराम गोडसे फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया यह फिल्म 30 जनवरी, 2015 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होनी थी जो कि नही हो सकी। याचिकाकर्ता के मुताबिक इस फिल्म के प्रदर्शन से सांप्रदायिकता फैलेगी।

डॉ0 राय ने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि जब भीष्म साहनी ने देश विभाजन की भीषण विभीषिका पर  ‘‘तमस’’ नामक डोकुमेंटरी बनाई थी तब तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्षवादीगण अदालत जाकर उस पर प्रतिबंध लगाने की  मांग की थी, तब उच्चतम न्यायालयक का एक ऐतिहासिक आदेश आया था और उसमें एक ऐतिहासिक टिप्पणी थी---

"History Can not Be Censored."

 ‘‘इतिहास को प्रतिबंधित नही किया जा सकता।’’

डॉ0 संतोष राय ने गोडसे फिल्म के प्रदर्शन पर रोक से रोष प्रकट करते हुये कहा कि नाथूराम गोडसे यदि गलत थे तो अदालत में दिये गये उनके बयान को इतने दिनों तक नेहरू ने क्यों प्रतिबंधित करा रखा था। उनके बयान को निकलवाने के लिये हिन्दू महासभा को क्यों अदालत का रास्ता चुनना पड़ा।

डॉ0 संतोष राय ने आगे कहा कि आज की युवा पीढ़ी जान गई है कि भारत का बंटवारा क्यों और किसने किया ? फिर भी यदि धर्म के आधार पर देश को जब बांटा गया फिर भी मुसलमानों को देश में किसने रोकवाया। गोडसे एक महान् राष्ट्रभक्त थे इसे नकारा नही जा सकता। याद रहे कि सूर्य के सामने बादल आने से सूर्य का अस्तित्व नही समाप्त होता, हां मूर्ख लोग अवश्य कहते हैं कि सूर्य का अस्तित्व नही है।  


 ‘‘गोडसे’’ फिल्म देश में ही नही बल्कि पूरे विश्व में प्रदर्शित होगी उस पर कोई भी प्रतिबंध लगाना इतिहास की सच्चाइयों को नकारना है। आज की युवा पीढ़ी में इस तरह के प्रतिबंध से उसके रक्त में और उबाल आयेगा जो कि तथाकथित छद्म मुखौटा लगाये ढोंगी, गद्दार सेकुलरों के लिये बहुत मंहगा पड़ेगा।

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय


गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय


   गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय


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गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



गोडसे पर फिल्म अदालत ने लगाया प्रतिबंध

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय



गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत

गोडसे फिल्म पर एकतरफा प्रतिबंध पूर्णतया गलत-डॉ0 संतोष राय


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