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Monday, May 9, 2016

अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री मौन


उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि तालाबों, कुओं पर किसी भी व्यक्ति का अतिक्रमण हो, उसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाये। चाहे यह अतिक्रमण कितना भी पुराना क्यों न हो। इसी को ध्यान में रखते हुए  शासन और प्रशासन की अनदेखी के चलते जलस्रोतों को बर्बाद होते देख वर्ष 2001 में एक पीआईएल 4787/2001 उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई। दाखिल पीआईएल की गम्भीरता को देखते हुए 25 जुलाई 2001 को सैयद शाह कादरी एवं एसएन फूकन न्यायाधीशों ने संयुक्त रूप से आदेश दिया कि तालाबों, पोखरों, बावडि़यों तथा कुओं का न तो स्वरूप बदला जा सकता है और न ही किसी तरह का अतिक्रमण किया जा सकता है। तालाबों, पोखरों, बावडि़यों तथा कुओं पर जो भी अतिक्रमण हो उसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाये।

सनद रहे कि प्रदेश के शहरी एवं ग्रॉमीण क्षेत्रों में अनेकों स्थानों पर भूजल की उपलब्धता में कमीं आने के साथ ही भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आई और भूगर्भशास्त्रियों ने आशंका जाहिर की कि यदि यही हालात रहे तो आगामी वर्षों में पानी का भयंकर संकट देश के समक्ष खड़ा हो जाएगा तब इसी को ध्यान रखते हुए 18 फरवरी 2013 को प्रदेश में उत्तर प्रदेश भूजल प्रबन्धन, वर्षाजल संचयन एवं भूजल रिचार्ज हेतु समग्र नीतिलागू की गई। इस समग्र नीति को क्रियान्वयन को कई विभागों को सौंपा गया।

इतना ही नहीं भूजल की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्राकृतिक जलस्रोतों तालाबों, पोखरों तथा कुओं को संरक्षित करने के लिये 1 अप्रैल 2015 को मुख्यमंत्री जल बचाओ अभियान योजनाको लागू किया है। जिसे कड़ाई से पालन करनें पर पूरी तरह जोर दिया है। लेकिन शासन-प्रशासन ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों को दरकिनार करते हुए जलस्रोतों पर कोई भी ध्यान नहीं दिया।

क्या है यहाँ के अतिक्रमण का मामला

भूमाफियाओं द्वारा भूजल से संबंधित अतिक्रमण का मामला ग्रॉम/पोस्ट-परियत, क्षेत्र-बरसठी, तहसील-मडि़याहूँ, जिला-जौनपुर, उत्तर प्रदेश का एक नया मामला संज्ञान में आया है। यहाँ के सरकारी अधिकारियों के सरपरस्ती में एक कुँआ जिसे ग्रॉमवासी कोतवाली का ईनारा कहते हैं जो पखण्डी सोनार व मल्लर तिवारी के घर के पास में है, का तीन ओर से जमीन के लालच में एक दबंग महिला विजय लक्ष्मी व उसके पति सुरेश वकील (उमर)  नें बुरी तरह अतिक्रमण कर लिया है। ये कुआँ गाँव परियत का एक ऐसा पुराना कुआँ है जहाँ से गाँव के किसान अपने खेतों की सिंचाई किया करते थे, मगर भूमाफिया दबंगों के कारण आज यह कुआँ अपने दुर्भाग्य और दुर्दिन पर जार-जार से रो रहा है। सनद रहे कि उपरोक्त दबंग व भूमाफिया विजय लक्ष्मी एवं उसके पति सुरेश वकील (उमर) दूसरे के जमीन को कब्जाने की नियति रखने वाले लोभी प्रकृति के हैं  जिनकी कुदृष्टि दूसरों के जमीन पर हमेंशा लगी रहती है।

 ज्ञात रहे कि उपरोक्त कुँआ को पूर्व, पश्चिम और उत्तर की ओर से पूरी तरह भूमाफियाओं नें घेर लिया है। इसमें दक्षिण की ओर से एक लिंटर पड़ा है। भूमाफियाओं नें इसे सिर्फ आगे की ओर कुआँ  तक जानें के लिए एक छोटा सा सँकरा रास्ता छोड़ा है। गाँव के सारे ग्रॉमवासी सब कुछ जानते हुए उपरोक्त भूमाफियाओं के दबंगई के डर से मौन साध लिए हैं, गाँव वाले इनके आगे बुरी तरह सहमें से रहते हैं। ये माफिया खुलेआम कहते हैं कि कोई हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता जिसको मेरी शिकायत जहाँ भी करनी हो कर दे। सपा के कुछ छुटभैया नेता परोक्ष रूप से इनके सहायक हैं जिनके दम पर ये भूमाफिया अपने घिनौने काम को अंजाम देते हैं। सनद रहे कि जब कुँआ के अतिक्रमण की जानकारी  पहली बार सरकारी अधिकारियों को मिली तो ऑनन-फॉनन में इस अतिक्रमण को गिरा दिया गया, मगर पैसे और पावर के दम पर ये दबंग फिर इस कुँआ का बुरी तरह अतिक्रमण करने में सफल हो गए।

आज आवश्यकता है इस कोतवाली के कुँआ का अतिक्रमण पूरी तरह से छुड़ाया जाए व माननीय मुख्यमंत्री के आदेशों का यथाशीघ्र पालन कराया जाए। ग्रॉम परियत के सारे ग्रॉमवासी , आस-पास के किसान व पथिक इस कुँआ के अतिक्रमण से छुटकारा चाहते हैं।

आंदोलन की तैयारी   

शासन-प्रशासन की लापरवाही के कारण आज तालाब और कुँओं का न तो ठीक से रख-रखाव हो रहा है  न ही अवैध अतिक्रमण से बचाव । इसी को ध्यान में रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता व राष्ट्रवादी नेता पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र व डॉ0 संतोष  राय नें पूरे देश में एक आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है, इसके लिए जहाँ कहीं भी कुँआ व तालाब का अतिक्रमण है उसे हटवाने के लिए वे हरसंभव प्रयास करेंग चाहे उसके लिए किसी भी उन्हें किसी भी सीमा तक जाना हो। और, इसकी शुरूआत उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव परियत से कर दी है। ज्ञात रहे कि यहाँ के कुँआ का अतिक्रमण हटाने के लिए पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र नें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को 15/19 अप्रैल, 2016 को एक पत्र भी लिखा है। अब देखना है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस पर क्या कार्यवाही करते हैं।



source : bharat varta.in


      अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री से शिकायत

अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री से शिकायत

अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री मौन

अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री मौन


अवैध अतिक्रमण पर मुख्यमंत्री मौन


http://drsantoshrai.blogspot.in/2016/05/blog-post.html

Friday, March 25, 2016

भारत के सबसे बड़े गद्दार गाँधी और नेहरू थे - डॉ0 संतोष राय

मूर्ख  कांग्रेसियों को कन्हैया कुमार मे शहीद भगत सिंह  दिखता है... और वीर सावरकर में  गद्दार


''जहाँ  इंदिरा गांधी ने सावरकर को महान स्वतंत्रता सेनानी बताकर उनके सम्मान मे डाक टिकिट जारी किया था वहीं आज के ओछी मानसिकता वाले  कांग्रेसी महान स्‍वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर  को गद्दार बता रही है। एक स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को श्रद्धांजलि देने के साथ दूसरे स्वतंत्रता सेनानी विनायक वीर दामोदर सावरकर का  अपमान .. .ये सिर्फ नीच कांग्रेसी ही कर सकते  हैं |'' उपरोक्‍त बातें अखिल भारत हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ नेता व फिल्‍म निर्माता डॉ0 संतोष राय नें आज एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्‍यम से कही । ज्ञात हो कि कांग्रेस ने बुधवार को भगत सिंह के शहीदी दिवस पर एक ट्वीट किया। इसमें वीर सावरकर को गद्दारऔर भगत सिंह को शहीदबताया गया है। यह ट्वीट कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल @INCIndia पर किया गया।
 अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ0 संतोष राय नें कहा कि सच्‍चाई यही है कि  विनायक दामोदर सावरकर नेहरु की आँखों में किसी रेत के कण की तरह चुभते थे ..इसलिए नेहरु के इशारे पर कांग्रेस उन्हें आज तक बदनाम करती आ रही है । वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी…. सावरकर जी नें दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हँसकर बोले- चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया। इतना ही नहीं उन्हें रोज दस किलो तेल भी निकलना होता था,  बैल की जगह खुद सावरकर अपने हाथो से कोल्हू चालाकर तेल निकालते थे ।
आगे डॉ0 संतोष नें बताया कि वीर सावरकर पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा ग़दर कहे जाने वाले संघर्ष को ‘1857 का स्वातंत्र्य समरनामक ग्रन्थ लिखकर सिद्ध कर दिया…. सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी लेखक थे जिनके लिखे ‘1857 का स्वातंत्र्य समरपुस्तक पर ब्रिटिश संसद ने प्रकाशित होने से पहले प्रतिबन्ध लगाया था… ‘1857 का स्वातंत्र्य समरविदेशों में छापा गया और भारत में भगत सिंह ने इसे छपवाया था जिसकी एक एक प्रति तीन-तीन सौ रूपये में बिकी थीभारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थीपुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी।  
अपनी बात में आगे श्री राय नें कहा कि वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि-
आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका.
पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः.
अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है..
हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ नेता नें कहा कि वीर सावरकर प्रथम राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सत्ता ने 30 वर्षों तक जेलों में रखा तथा आजादी के बाद 1948 में नेहरु सरकार ने गाँधी हत्या की आड़ में लाल किले में बंद रखा पर न्यायालय द्वारा आरोप झूठे पाए जाने के बाद ससम्मान रिहा कर दियादेशी-विदेशी दोनों सरकारों को उनके राष्ट्रवादी विचारों से डर लगता था
़श्री राय नें अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब वीर सावरकर की धर्मपत्नी बेहद गम्भीर बीमार थी तब उन्होंने पैरोल के लिए आवेदन दिया .. अंग्रेजी कानून के मुताबिक जब भी कोई सेनानी पेरोल के लिए आवेदन देता था तो उसे अपने अच्छे चाल-चलन की गारंटी देनी होती थी .. ये प्रथा आज भी है ... लेकिन धूर्त इतिहासकार सिर्फ उनके पेरोल आवेदन को ही दिखाकर कहते है की सावरकर डर गये थे .. जबकि सच्चाई ये है की जब जेलर ने उन्हें कहा की मजिस्ट्रेट के सामने यूनियन जैक [अंग्रेजी झंडा] के सामने शपथ लेनी होगी .. तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया और कहा की भले ही मैं  अपनी मरती पत्नी को न देख सकूं ..लेकिन मै अंग्रेजी झंडे की शपथ नही ले सकता | और उन्होंने अपनी पेरोल का आवेदन वापस ले लिया | इतना ही नहीं वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही लीइस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया गया

गोडसे फिल्‍म निर्माता डॉ0 संतोष राय नें कांग्रेस की कड़े शब्‍दों में भर्त्‍सना करते हुए कहा कि जेल में सावरकर ने दिवालों  पर नाख़ून और कोयले से कई किताबे लिखी ..जो देश आजाद होने के बाद छापी गई । सावरकर कांग्रेस की दृष्टि में इसलिए खलनायक है क्योंकि उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद को जन्म दिया था .. जबकि कांग्रेस को मुस्लिम राष्ट्रवाद पसंद था। इतना ही नहीं जब भारत छोड़ो आन्दोलन अपने चरम पर था, लोग अंग्रेजों  के खिलाफ संगठित होकर विद्रोह करने लगे थे .. तब अचानक गाँधी ने चौरी-चौरा कांड का बहाना बनाकर आन्दोलन को वापस क्यों ले लिया और तो और नेताजी सुभाषचंद्र बोस नें  जब सशस्त्र हमला किया अंग्रेजों के ऊपर तब गाँधी ने लोगों  को नेताजी के आंदोलन में शामिल न होने के लिए अपील क्यों किया और उस समय नेहरू जी  का वक्‍तव्‍य था कि यदि सुभाष चंद बोस यदि भारत की धरती पर कदम रखे तो मैं तलवार लेकर उन पर सबसे पहले हमला करूँगा  ???  
आगे कांग्रेस पर डॉ0 राय नें करारा प्रहार करते हुए कहा कि मोहन दास करमचंद गाँधी सरदार भगत सिंह के परोक्ष रूप से हंता (हत्‍यारे)  थे क्‍योंकि अहिंसा नीति के पोषक गाँधी  जी  नें अमर  हुतात्‍मा सरदार भगतसिंह के  फांसी वाले मामले पर कहा था, ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए ’’ और आगे कहा, ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही है, फाँसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे।
डॉ0 राय नें मोहनदास करम चंद गाँधी  पर मुस्लिम कट्टरवाद का बढ़ावा देनें का आरोप लगाते हुए कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। वहीं केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं से  मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दू  मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गाँधी जी नें  इस हिंसा का विरोध नहीं किया वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया जो अत्‍यंत निंदनीय कृत्‍य था । इतना ही नहीं देश का बँटवारा कराने वाले को मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ नेता डॉ0 राय नें आगे कहा कि गाँधी नें भारत माता के वीर सपूतों का भी घोर अपमान किया, उन्‍होंने अनेंक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
फिल्‍म निर्माता डॉ0 संतोष राय को देश के विभाजन के लिए प्रमुख रूप से गाँधी को  जिम्‍मेदार बताते  हुए कहा कि 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा। फिर भी देश का  विभाजन करने वाले को इस देश के वासी राष्‍ट्रपिता कहते हैं, इससे बड़ा देश का दुर्भाग्‍य क्‍या हो सकता है ? इतना ही नहीं गाँधी नें गौ हत्या पर प्रतिबंध  लगाने का पूरजोर विरोध किया ।  
हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ नेता श्री संतोष राय नें गाँधी के अहिंसा को ढोंग बताते हुए कहा कि  1939 के द्वितीय विश्व युद्ध में गाँधी ने भारतीय सैनिको को ब्रिटेन के  लिए हथियार उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया  जबकि वो हमेंशा अहिंसा की पीपनी बजाते रहते थे वहीं गाँधी और नेहरू दोनों पेशे से वकील थे तो क्‍या भगत सिंह जी का मुकदमा नहीं लड़ सकते थे । इनकी नजरों में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भगत सिंह को फाँसी देना हिंसा नहीं थी ।  
डॉ0 राय नें गाँधी को देश के बँटवारे के लिए जिम्‍मेदार बताते हुए कहा कि देश को बँटवारे में गाँधी नें मुस्लिमों को उकसाया । धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के जरिये गाँधी जी का यही मुस्लिम तुष्टिकरण देश के विभाजन का भी कारण बना, जब २६ मार्च १९४० को जब मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की अवधारणा पर जोर दिया तब गाँधी जी का वक्तव्य था अन्य नागरिकों की तरह मुस्लिम को भी यह निर्धारण करने का अधिकार है कि वो अलग रह सके, हम एक संयुक्त परिवार में रह रहे हैं ( हरिजन , ६ अप्रैल १९४० ) इतना ही नहीं अगर इस देश के अधिकांश मुस्लिम यह सोचते हैं कि एक अलग देश जरूरी है और उनका हिंदुओं से कोई समानता नहीं है तो दुनिया की कोई ताक़त उनके विचार नहीं बदल सकती और इस कारण वो नए देश की मांग रखते है तो वो मानना चाहिए, हिन्दू इसका विरोध कर सकते है ( हरिजन , १८ अप्रैल १९४२ )। दूसरे शब्दों में कहें तो गाँधी जी ने मुसलामानों को पाकिस्तान बनाने के लिए प्रेरित ही किया। इस घटना के बाद वल्लभ भाई ने भी बंटवारा स्वीकार करने का फैसला किया।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ0 संतोष राय ने कहा कि  ये वीर सावरकर जी ही थे जिन्होंने लन्दन के इण्डिया हाउस में अंग्रेजो के नाक के नीचे ही सेनानियों को तैयार करते थे .. मदन लाल धिंगरा जैसे शहीदों को उन्होंने ही तैयार किया था .. लन्दन में जब अंग्रेजो ने उन्हें गिरफ्तार किया तो वे पानी के जहाज  से कूदकर फरार हो गये .. और कई दिनों तक समुद्र में तैरने के बाद फ्रांस पहुंच गये ।  
फिल्‍म निर्माता राय नें बताया कि वीर सावरकर माँ भारती के पहले सपूत थे जिन्हें जीते जी और मरने के बाद भी आगे बढ़ने से रोका जाता रहा पर आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी विरोधियों के घोर अँधेरे प्रतिरोध को  चीरकर आज वीर सावरकर के राष्ट्रवादी विचारों का सूर्य उदय हो रहा है………जिसे कांग्रेस जैसी देश की गद्दार पार्टी जिसने देश के दो टुकड़े करा दिये, नहीं रोक सकती।  
डॉ0 संतोष राय नें युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि हर युवा को भारत का स्वतंत्रता संग्राम पढ़ना चाहिए जिससे आपको विश्‍वास हो जायेगा की नेहरु और गाँधी असल में सेनानी नही बल्कि अंग्रेजों  के दलाल थे .. एक तरफ अंग्रेज सरकार स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियों को फाँसी से लेकर कालेपानी की सजा देती थी ..लेकिन इन दोनों दलालों को कभी तीन सालो से ज्यादा जेल में नही रखा .. गाँधी को तो अंग्रेज जेल में नही बल्कि आलिशान आगा खान के पैलेस में रखते थे ...जहाँ वो सुरा और सुन्दरी का जमकर मजा ले सकते थे |
अंत में डॉ0 संतोष राय नें कहा कि जो कुछ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने युग पुरुष वीर सावरकर जी के बारे में कहा है वह सोनिया गाँधी की अज्ञानता और महामूर्खता को  दर्शाता है|   मेरी यह भी धारणा बन गई है कि कांग्रेस में अब कोई स्वाभिमानी व्यक्ति नहीं रह गया है जो ऐसी जाहिल महिला के नेतृत्व को अस्वीकार करने का साहस दिखा पाए|  १९०६-१० के समय में जब वीर सावरकर लंदन में अपने क्रन्तिकारी विद्यार्थी साथियों के साथ मिलकर हिन्दुस्थान की स्वतंत्रता के लिए रोजना जलसे जलूस कर रहे थे उस समय (जवाहर लाल नेहरु) भी वहां पढ़ रहे थे और वह इन आन्दोलनों से दूर रहकर संभवतः अपनी अंग्रेज आया के आंचल में छुपे रहते थे|
वीर विनायक दामोदर सावरकर के तप, तपष्‍या और त्‍याग के कारण इतने महान, दसियों गाँधी और जवाहर उन पर कुर्बान किये जाएं तो भी कम पड़ेंगे ।
 गाँधी नेहरु की देश को जो देन  है वह मुख्यतः यह है
१.  १९४७ में देश विभाजन
२.  कश्मीर समस्या
३.  १९६२ में चीन से लड़ाई में हिन्दुस्थान की पराजय
तभी तो जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने श्री मोहन दास करमचंद गाँधी को अंग्रेजों का एजेंट कहा है|
महान वीर सावरकर के मुकाबले में गाँधी और नेहरु का कोई वजूद ही नहीं है|

देश के बँटवारे वाले प्रमाणपत्र पर  हस्‍ताक्षर नेहरू के थे, सुभाष चंद्र बोस के जीवन को बर्बाद करने वाले नेहरू थे और चंद्रशेखर आजाद को यदि किसी नें छल से मरवाया तो वे नेहरू ही थे। इसलिए देश को आजाद देश के क्रांतिकारियों ने करवाया था न कि अंग्रेज के दो एजेंट गाँधी और नेहरू नें ।  इस मसले पर हिन्‍दू महासभा किसी भी जाँच के लिए तैयार है । हिंदू महासभा मांग करती है कि सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद से जुड़ी जितनी फाइलें हैं उसे सार्वजनिक किया जाए ।  

भारत के सबसे बड़े गद्दार गाँधी और नेहरू थे
भारत के सबसे बड़े गद्दार गाँधी और नेहरू थे
भारत के सबसे बड़े गद्दार गाँधी और नेहरू थे

भारत के सबसे बड़े गद्दार गाँधी और नेहरू थे

भारत के सबसे बड़े गद्दार गाँधी और नेहरू थे
भारत के सबसे बड़े गद्दार गाँधी और नेहरू थे

Wednesday, March 9, 2016

सपा के गुण्‍डा राज में वरिष्‍ठ नागरिकों का पुलिस द्वारा उत्‍पीड़न किया जा रहा है

जौनुपर, बरसठी की पुलिस मामले की पूरी लीपा-पोती में जुटी

सपा के गुण्‍डा राज में वरिष्‍ठ नागरिकों का पुलिस द्वारा उत्‍पीड़न किया जा रहा है। ऐसे ही एक मामला उत्तर प्रदेशजिला जौनपुर,  ब्लॉक बरसठीथाना बरसठी के अंतर्गत है । मालूम रहे कि बरसठी थाने का  बनारसी लाल (दीवान) नाम का पुलिस अधिकारी जिसका सीएनओ नंबर 77217126  व  मोबाइल नंबर: 07388791887 हैजो अत्यंत भ्रष्टरिश्वतखोर और बड़े-बुजुर्गों को अपमानित करने वाला प्रकृति का है।

उपरोक्त भ्रष्ट अधिकारी बनारसी लाल (दीवान) नें ग्राम/पोस्ट परियतजिलाः जौनपुरउप्र के सम्मानित निवासी व करीब 70वर्षीय बुजुर्ग बीएमएस डॉ0 रमाकांत गुप्त/पुत्र स्वर्गीय इंसपेक्टर भगवती प्रसाद गुप्त व उनकी पत्नी रिटायर्ड सरकारी स्कूल की प्रधानाध्यापिका राजकुमारी देवी के साथ पुलिसिया गुण्डई दिखाते हुए उनके साथ बहुत ही घटियांशर्मनाक व अभद्र भाषा का प्रयोग किया व एक अपराधी की तरह दुर्व्‍यवहार करते हुए उन्हें थाने चलने को जबरन मजबूर कर रहा थाइस उपरोक्त अधिकारी के साथ दो पुलिस वाले और थे जो उपरोक्त भ्रष्ट अधिकारी का साथ दे रहे थेउपरोक्त घटना 4 मार्च, 2016 दिन के करीब साढ़े बारह बजे की है ।

इतना ही नहीं डॉ0 रमाकांत गुप्त को थोड़ा कपड़े पहनने में देर होने पर उपरोक्त पुलिस अधिकारी बनारसी लाल (दीवान)  ने अत्यंत गंदे व अभद्र शब्दों का प्रयोग करते हुए अपमानित किया और बोला कि -‘‘जल्दी कर अभी तक तैयार नहीं हुआ तू‘‘। उपरोक्त पुलिस अधिकारी नें बुजुर्ग डॉ0 रमाकांत गुप्त की पत्नी के साथ  गंदी व अशिष्ट अपशब्दों वाली भाषा का प्रयोग करते हुए बोला, ‘‘तुम यहाँ-वहाँ नाचना बंद करफाल्तू बकवास मत कर‘‘। 

सनद रहे कि  मामला जमीन से संबंधित थाडॉ0  रमाकांत गुप्त ट्रांसफार्मर के पास एक दीवार का निर्माण करा रहे थे क्योंकि गेद खेलते समय बच्चों का गेद ट्रांसफार्मर के पास चला जाता था जिससे बच्चों के प्राण जानें  का खतरा बना रहता है। इस ट्रांसफार्मर हटाने की शिकायत कई बार शासन-प्रशासन से किया गया मगर अंधेर राज्य में जायज मांगे कभी पूरी ही नहीं होती।  इस संदर्भ में उपरोक्त दीवान रिवश्वखोर अधिकारी नें ग्रॉम प्रधान से भी कोई बात भी नहीं किया।

70वर्षीय बुजुर्ग डॉ0 रमाकांत गुप्त की पत्नी राजकुमारी देवी रिटायर्ड सरकारी जूनियर स्कूल की प्रधानाध्यापिका रह चुकी हैं जो बुद्धिजीवी समाज का प्रतिनिधित्व भी करती हैं जिनके पढ़ाए छात्र एसडीएमडीएम तक बन चुके हैं । लेकिन उनके साथ भी इस पुलिस अधिकारी नें गंदेघिनौने व मर्यादाहीन  शब्दों का प्रयोग कियावो ऐसा कि पुलिस की वर्दी के आगे किसी का कोई सम्मान ही न  हो मानो बस सब उस उपरोक्त अधिकारी के दास हों।

70 वर्षीय बुजुर्ग डॉ0  रमाकांत गुप्त पेशे से डॉक्टर हैं जो हमेंशा गरीबों के ईलाज में अपना जीवन न्योछावर कर दियाजिनका जीवन बेहद सादगी से भरा और पवित्र रहा है । डॉ0 रमाकांत गुप्त का अपराध से कोई वास्ता कभी नहीं रहा है। इनकी उम्र करीब 70 वर्ष की हैक्या वे थाने में ले जानें लायक थे यदि उपरोक्त अधिकारी को कोई पूछताछ करनी थी तो उनकी उम्र देखकर उनके घर पर भी हो सकती थी।
  
उपरोक्त पुलिस अधिकारी (दीवान) जो महादुष्‍ट, बर्बर व्‍यवहार का था उसकी दरिंदगी व अभद्र भाषा के बाद डॉ0 रमाकांत गुप्त का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा उनके सीने का दर्द और बढ़ गयाउनको हार्ट अटैक आते-आते बचा जिसका ईलाज चल रहा है। ज्ञात रहे कि डॉ0 रमाकांत गुप्त के सीने में  अक्सर दर्द होता रहता है जिसके लिए हमेंशा दवाएँ खाते रहते हैं। उपरोक्त पुलिस अधिकारी (दीवान) के दुर्व्‍यवहार से बुजुर्ग डॉ0  रमाकांत गुप्त का स्वास्थ्य और बिगड़ने लगा अगर उनको कुछ होता है तो उसके लिए भ्रष्टरिश्वतखोर बनारसी लाल (दीवान) व बरसठी थाने का थानाध्यक्ष  जिम्मेदार होगा ।

डॉ0  रमाकांत गुप्त से उपरोक्त बरसठी थाने का (दीवान)  द्वारा अपराधियों की तरह बर्ताव से वे बेहद मानसिक अवसाद में हैं क्योंकि वे पूरा जीवन सादगी से व्यतीत करने वाले समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से एक हैंजिनको किसी तरह के अपराध से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं रहा है। ज्ञात रहे कि बरसठी की बर्बर पुलिस अपने गंदे व घिनौने कामों के लिए कुख्‍यात है। सन् 1982 के करीब बरसठी की बर्बर पुलिस नें एक आदिवासी मुशहर को पीटते-पीटते मार डाला था जिसके चल्‍ते बहुत हंगामा हुआ था ।

ओर तो और इस भ्रष्ट पुलिस अधिकारी ने बुजुर्ग दंपत्ति डॉ0  रमाकांत गुप्त व राजकुमारी देवी को रिश्वत देने के लिए बाध्य कर दियारिश्वत देने के बाद तब जाकर उस भ्रष्ट व रिश्वतखोर  उपरोक्त (दीवान)  ने बुजुर्ग दंपत्ति की जान छोड़ी। डॉ0  रमाकांत गुप्तउनकी पत्नी राजकुमारी देवी व उनका पूरा परिवार भ्रष्ट अधिकारी बनारसी लाल (दीवान) के दुर्व्‍यवहार से बुरी तरह भयभीत व मानसिक सदमें में है ।

इस बुजुर्ग दंपत्ति नें उपरोक्त महाभ्रष्ट पुलिस अधिकारी बनारसी लाल (दीवान) की जौनपुर एसपी से शिकायत कर अविलंब दण्‍डात्‍मक कार्यवाही की मांग किया है ।  क्योंकि बरसठी थाने के दीवान नें  70वर्षीय बुजुर्ग दंपत्ति का घोर अपमान किया हैउनके साथ अमर्यादितगंदेअशिष्ट भाषा का प्रयोग किया है व मानसिक रूप से प्रताडि़त किया है व उन्हें रिश्वत देनें के लिए मजबूर किया । उपरोक्‍त  भ्रष्‍ट पुलिस अधिकारी को बचाने के लिए थाने के बड़ेआला पुलिस अधिकारी थानाध्यक्ष ने पूरा एड़ी-चोटी का जोर लगाना शुरू  कर दिया है । थानाध्‍यक्ष महोदय मामले के लीपा-पोती में पूरी तरह से जुट गए हैं,  वे पत्रकारों को बता रहे हैं कि ऐसा कुछ मामला था ही नहीं ।

उपरोक्‍त घटना की हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ अधिकारी पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र, रीता राय, रविन्‍द्र द्विवेदी  नें तीव्र व कड़े शब्‍दों में निंदा की है व दोषी व भ्रष्‍ट पुलिस के विरूद्ध अविलंब कार्यवाही की मांग की है, माँग पूरी न होने पर जनआंदोलन की शुरूआत करने की बात कही है ।


सपा के गुण्‍डा राज में वरिष्‍ठ नागरिकों का पुलिस द्वारा उत्‍पीड़न किया जा रहा है


सपा के गुण्‍डा राज में वरिष्‍ठ नागरिकों का पुलिस द्वारा उत्‍पीड़न किया जा रहा है


सपा के गुण्‍डा राज में वरिष्‍ठ नागरिकों का पुलिस द्वारा उत्‍पीड़न किया जा रहा है

सपा के गुण्‍डा राज में वरिष्‍ठ नागरिकों का पुलिस द्वारा उत्‍पीड़न किया जा रहा है

सपा के गुण्‍डा राज में वरिष्‍ठ नागरिकों का पुलिस द्वारा उत्‍पीड़न किया जा रहा है

                                
                                  
  

Monday, February 15, 2016

भ्रष्ट व रिश्वतखोर लेखपाल को अविलंब बर्खास्त किया जाए-हिन्दू महासभा




           ‘‘भ्रष्ट व रिश्वतखोर लेखपाल को अविलंब बर्खास्त किया जाए‘‘ उपरोक्त बातें अखिल भारत हिन्दू महासभा के महासचिव रविन्द्र द्विवेदी ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दिए एक पत्र में कही । ज्ञात हो कि    उत्तर प्रदेश, जिला जौनपुर, रामपुर ब्लॉक  के अंतर्गत रतन यादव नाम का लेखपाल जो अत्यंत भ्रष्ट और रिश्वतखोर प्रकृति का अधिकारी है जिसने वहां की मासूम जनता को परेशान करके रख दिया है।

श्री द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को दिए पत्र में बताया कि यह लेखपाल भोले-भाले जनता को फँसाकर धन उगाहने का प्रयास करता रहता है । वर्तमान में रामपुर के बहुत से लोगों को रिश्वत देने के लिए डरा-धमकाकर मजबूर करनें में लगा हुआ है, जिससे नागरिकों में उसके आतंक का भय पूरी तरह व्याप्त हो गया है ।  इतना ही नहीं उपरोक्त लेखपाल को बड़े-बड़े सवर्ण जातियों का भी समर्थन प्राप्त है  जिससे उसका दुःसाहस और भी बढ़ गया है और रामपुर के पीडि़त लोग इसके विरूद्ध मुँह खोलनें का साहस नहीं कर पा रहे हैं ।

हिन्दू महासभा के महासचिव रविन्द्र द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को दिए पत्र में कहा है कि  रतन यादव नामक लेखपाल रिश्वतखोरी में अकेला नहीं है इसके साथ और कई अधिकारी मिले हुए हैं जैसे कानून गो, नायब तहसीलदार आदि । 

रविन्द्र द्विवेदी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यदि कोई नागरिक आबादी के जमीन में आबाद है तो उपरोक्त लेखपाल को पता चल जाता है तो वह  उस आबादी के जमीन पर रहने वाले उन भोले-भाले  नागरिक को स्टैम्प घोटाले करनें  का भय दिखाता है और लेखपाल आगे उनसे कहता है कि आपने तो जमीन की रजिस्ट्री कराई ही नहीं हैं जिससे सरकार को लाखों का घाटा हुआ है, आपने स्टैंप घोटाला किया है और अब आप मुझे लगभग पचास-साठ हजार रूपये दे दो वर्ना तुम बहुत बुरे ढंग से फँसोगे ।

 रविन्द्र द्विवेदी ने कहा कि यदि वह भोला-भाला इंसान रिश्वत देनें से मना करने लगता है तो वह लेखपाल कानून गो व नायब तहसीलदार के सामने उपरोक्त नागरिक को प्रस्तुत करवाकर पूरे चार-पाँच लाख का खर्च दिखाता है और कहता है कि पचास-साठ हजार में अपना काम निपटा लो वर्ना स्टैम्प घोटालें में कई लाखों के चपेट में आओगे और जेल  अलग से होगी ।
 
रविन्द्र द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपने पत्र में आगे कहा कि रामपुर के जिन लोगों नें शिकायत की है वे बहुत बुरी तरह डरे-सहमें हुए हैं यदि वे सामने आकर शिकायत करते हैं तो ये लेखपाल उन्हें जान से भी मरवा सकता है क्योंकि रतन यादव नामक लेखपाल को वहाँ के आस-पास के दबंग ठाकुरों का भारी समर्थन प्राप्त है और वह अपनी पहुँच लखनऊ के बड़े-बड़े नेताओं तक बताता है। इतना ही नहीं, रतन यादव नामक लेखपाल अपना संबंध समाजवादी पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं से बताता है और हमेंशा सीधे-सादे और मासूम लोगों को उस परिचय का धौंस दिखाता  रहता है ।

आगे महासचिव द्विवेदी ने मुख्यमंत्री से अपनी बात रखते हुए कहा कि पीडि़त शिकायतकर्ता शासन-प्रशासन के समक्ष आकर सारी बात बता सकते हैं लेकिन यदि शासन-प्रशासन उनका नाम पूरी तरह गुप्त रखें व उनके परिवार की पूरी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले ।

महासचिव रविन्द्र द्विवेदी नें  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से आगे मांग की  है कि इस भ्रष्ट रिश्वतखोर लेखपाल को अविलंब बर्खास्त किया जाये जिससे भविष्य में इस तरह की गलती कोई लेखपाल करने का दुःसाहस न करे और इसके साथ यह भी मांग की है कि लेखपाल रतन यादव के साथ-साथ उसके इस गलत कार्य में साथ देनें वाले अन्य अधिकारियों के प्रति भी कड़ी से कड़ी दण्डात्मक कार्यवाही किया जाये जिससे उपरोक्त लेखपाल का रिश्वत नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त हो जाये ।

आगे, हिन्दू महासभा के महासचिव ने अपनी चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से  कहा कि यदि इस भ्रष्ट लेखपाल को बर्खास्त नहीं किया गया तो जितने आबादी के जमींन पर गरीब नागरिक रह रहे हैं उसके लिए उपरोक्त लेखपाल बहुत बड़े  खतरे का सबब  साबित होगा ।

अंत में जुझारू  नेता रविन्द्र द्विवेदी नें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को आगाह करते हुए कहा कि उपरोक्त भ्रष्ट लेखपाल को यदि अविलंब बर्खास्त नहीं किया जाता तो अखिल भारत हिन्दू महासभा जनआंदोलन आरंभ करेगी और साथ में सोशल मीडिया पर भी अभियान को द्रुत  गति से चलाएगी । 

मित्रों आप सब लोग इस भ्रष्‍टाचार की शिकायत उप्र के मुख्‍यमंत्री कार्यालय व  जौनपुर के डीएम से भी शिकायत कर सकते हैं –
मुख्‍यमंत्री कार्यालय का फोन नंबर – 0522- 2236181,  2239296,  2215501, 2236838, 2236985

जौनपुर जिले के डीएम का नंबर है – 09454417578

भ्रष्‍ट लेखपाल रतन यादव का मोबाइल नंबर- 09838157703

महत्‍वपूर्ण लिंक :

https://www.facebook.com/rdwivedihms/posts/1027680770611023