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Monday, August 30, 2010

पुलिस की अधूरी जानकारी के विरूद्ध पत्रकार राजीव कुमार ने सीआईसी की शरण ली

रविन्द्र कुमार द्विवेदी


दिल्ली पुलिस आपके लिए आपके साथ का नारा देने वाली दिल्ली पुलिस को शायद इसका मतलब शायद पता नही है।तभी तो आए दिन दिल्ली पुलिस की कारस्तानी अखबारों में छपती रहती है। दिल्ली पुलिस आम जनता की मदद तो दूर समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को भी अपने सामने कुछ नही समझती है। ऐसे ही एक घटना के तहत एक पत्रकार ने दिल्ली पुलिस की वास्तविकता देखी।

तात्काजलिक हिन्दी पत्रिका भारतीय पक्ष के पत्रकार राजीव कुमार पिछले कई साल से उत्तम नगर के संपत्ति संख्या ए-20 सुभाष पार्क में किराये पर अपने परिवार के साथ रह रहे थे। 22/10/2009 को राजीव के मकान मालिक सुरेश ने राजीव से जानबूझकर नशे में धुत्त होकर फसाद किया व उन्हें घर से निकालकर उनकी पत्नी शिल्पी और एक साल के पुत्र आकाश को बंधक बना लिया। राजीव ने अंत में 100 नंबर पर फोन किया। पीसीआर की गाड़ी आई, राजीव की मदद करने को कौन कहे उल्टे उन्हें डांटने-फटकारने लगी। राजीव ने मिन्नतें की कि मेरे बच्चे व पत्नी की जान खतरे में है। इस पर भी पुलिस वालों का दिल नही पसीजा। वे पुलिसिया रौब दिखाना शुरू कर दिया. इन दोनों में प्रधान सिपाही सिब्बनल चन्द्रा जिसका बेल्टज नंबर 134 पी.सी.आर. है ने डांटते-फटकारते हुए कहा कि हम क्याब करें तुम्हा रे पत्नील और बच्चेप की जान खतरे में है अगर यह मकान मालिक हमारा सर फोड़ दे तो तब क्याे होगा और जो दूसरा प्रधान सिपाही भगवान सिंह जिसका बेल्ट नंबर 6309 पी.सी.आर. है वो घटना स्थ ल पर आया ही नही वह वहीं तिराहे पर वैन लगाकर वहां की रौनक देखने में व्य स्तव था. अंत में ये दोनों पुलिसिया रौब झाड़ते हुए चले गये. सनद रहे कि इन दोनों पुलिसवालों का नाम और बेल्टआ नंबर आर.टी.आई. के तहत पता चला है. बाद में थाना बिन्दापुर से एएसआई राजेन्द्र सिंह आया। वह पत्रकार राजीव कुमार को न्याय दिलाने के बजाय उन्हीं पर भड़क उठा।

राजीव ने खुद को पत्रकार बताते हुए, एएसआई को सारा मामला समझाते हुए उससे अनुरोध किया कि वह उनकी पत्नी व पुत्र को मकान मालिक सुरेश के बंधक से छुड़ाए। राजेन्द्र सिंह ने पत्रकार राजीव कुमार से काफी बत्तमीजी से उसका परिचय पत्र मांगा। राजीव कुमार द्वारा परिचयपत्र देने के बाद भी राजेन्द्र सिंह ने उससे काफी अभद्रता से बात की और परिचयपत्र को अपने जेब में रख लिया। राजीव ने कई बार परिचयपत्र वापस मांगने के बाद एएसआई ने राजीव को फर्जी पत्रकार के जुर्म में जेल में बंद करने की धमकी देते हुए परिचयपत्र वापस कर दिया। बिन्दापुर थाने का यह बद्जुबान एएसआई लगातार मकान मालिक सुरेश का पक्ष लिये जा रहा था, आखिरकार आस-पास के लोगों ने जब एएसआई पर दबाव बनाया तब जाकर कहीं उसने कुछ मजबूरन करीब 12 घंटे के बाद राजीव की पत्नी और उनके बच्चे को सुरेश के चंगुल से मुक्त कराया। राजीव ने इस पूरे घटना की एफआईआर दर्ज करवानी चाही लेकिन राजेन्द्र सिंह ने कोई भी शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया।

फसाद करने वाले मकान मालिक सुरेश कोई काम-काज नही करता है। उसका बस एक मात्र काम शराब, गांजा पीकर अश्लील हरकत करना, गंदी-गंदी गालियां देना है। झगड़े के समय भी सुरेश के पास गांजे की पुड़िया थी लेकिन एएसआई राजेन्द्र सिंह ने राजीव के कहने पर भी उस ओर कोई ध्यान नही दिया। इसके अलावा मकान मालिक सुरेश अपनी भाभी को जलाकर मारने के आरोप में हरियाणा की जेल में सजा भी काट चुका है। आखिरकार राजीव को उनकी पत्नी और बच्चा सकुशल मिल गया लेकिन घर के कुछ अन्य सामान आज तक नही मिल पाये। सामानों में टीवी, सीलिंग फैन, ट्यूबलाइट व अन्य जरूरी दस्तावेज घर में ही रह गया। राजीव कुमार ने मकान तो बदल लिया किन्तु उनका सामान वापस नही मिला राजीव कुमार ने जब सुरेश से अपना सामान मांगा तो उसने राजीव को धमकी दिया कि यदि उसने अपना सामान वापस मांगा तो वो उसे और उसके परिवार को जान से मरवा देगा। अगर धमकी की शिकायत पुलिस से की तो उसके उपर पचास हजार की चोरी का झूठा आरोप लगवाकर जेल भिजवा देगा। सुरेश की ज्यादती और दिल्ली पुलिस की नाइंसाफी से तंग आकर आखिरकार राजीव ने जनसूचनाधिकार अधिनियम 2005 का उपयोग करते हुए दिल्ली पुलिस से घटना की विस्त्रृत जानकारी मांगी, साथ ही अपनी शिकायत कमिश्नर से कर पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों का भी विवरण आरटीआई के तहत मांगा था।

इसके उत्तर में दिल्ली पुलिस कोई सटीक जवाब देने के बजाय गोलमटोल जवाब देकर राजीव को गुमराह करने की पूरी कोशिश की। दिल्ली पुलिस ने सूचना अधिकार के मूल नियमों को ठेंगा दिखाते हुए अधूरा जवाब भेज दिया कि राजीव का कोई भी सामान मकान मालिक के पास नहीं है, उस दिन मकान मालिक से कोई भी झगड़ा नही हुआ था। और मजबूर होकर राजीव ने मामले को केन्द्रीय सूचना आयोग के संज्ञान में लाने हेतु केन्द्रीय सूचना आयुक्त को पत्र भेजा है। उन्हें उम्मीद है कि सूचना आयोग के माध्यम से उन्हें सही जानकारी के साथ न्याय भी मिल सकेगा।

Thursday, August 26, 2010

वैदिक यज्ञ मण्‍डप के निर्माण पर जजिया कर लगाने से हिन्‍दू स्‍वराज्‍य सेना नाराज

राजीव कुमार


नई दिल्ली(26/08/10)1 हिन्‍दू स्‍वराज्‍य सेना के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रविन्‍द्र कुमार द्विवेदी ने दिल्‍ली की कांग्रेस सरकार और नई दिल्‍ली नगर पालिका पर राष्‍ट्रमंडल खेलों में भारतीय वैदिक संस्कृति की उपेक्षा करने और वैदिक संस्कृति के कार्यक्रमों पर जजिया कर लगाने की कड़ी आलोचना करते हुए कड़ी आंदोलन की चेतावनी दी है.


आज जारी बयान में द्विवेदी ने बताया कि अखिल भारत हिन्‍दू महासभा की राष्‍ट्रीय महामंत्री डा0 इंदिरा तिवारी ने गत माह दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित को पत्र भेजा था. पत्र् में राष्‍ट्रमंडल खेलों में शामिल होने वाले विदेशी खिलाडियों और विदेशी पर्यटकों को अतिथि देवो भव की भारतीय परंपरा से अवगत कराने के लिए नई दिल्‍ली के मंदिर मार्ग स्थि‍त हिन्‍दू महासभा भवन में एक अस्‍थायी यज्ञ मण्‍डप बनाने की अनुमति मांगी गई थी यह यज्ञ मंडप 15 सितंबर 2010 से 15 नवंबर 2010 तक के लिये बनाया जाना था.


द्विवेदी ने आगे अपने बयान में बताया कि मुख्‍यमंत्री कार्यालय से डा0 इंदिरा तिवारी का पत्र नई दिल्‍ली नगर पालिका के पास आवश्‍यक कार्यवाही हेतु भेजा गया. नई दिल्‍ली नगर पालिका ने उस पत्र् के जवाब में जो कुछ लिखकर भेजा, उससे पूरा हिन्‍दू समाज हतप्रभ है. जवाब में हिन्‍दू महासभा वैदिक यज्ञ मण्‍डप बनाने से पूर्व सवा लाख रूपये नई दिल्‍ली नगर पालिका के खाते में जमा कराने का निर्देश दिया गया.


द्विवेदी ने नई दिल्‍ली नगर पालिका के इस आचरण पर हैरानगी जताते हुए कहा कि सवा लाख रूपये जमा कराने का मुगल फरमान मुगल काल के जजिया कर की याद दिलाता है. उन्‍होंने कहा कि हमारे देश में मुस्लिमों को उनके धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक आयोजन के लिए जहां सरकार लाखों रूपये का अनुदान देकर उनकी मदद करती है, वहीं हिन्‍दुओं के आयोजन से लाखों रूपये का टैक्‍स वसूलकर अपना खजाना भरती है. दो विभिन्‍न धर्मों के मध्‍य सरकार का भेदभाव भारत के र्धर्मनिरपेक्ष चरित्र् की मूल भावना के विरूद्ध है. इससे हिन्‍दू समाज आहत है, उसके भीतर प्रतिकार की भावना उग्र हो रही है.


द्विवेदी ने नई दिल्‍ली नगर पालिका के अधिकारियों और दिल्‍ली की कांग्रेस सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सवा लाख रूपये टैक्‍स जमा करवाने का तुगलकी फरमान तुरंत वापस लिया जाये और वैदिक यज्ञ मण्‍डप बनाने की निःशुल्‍क अनुमति प्रदान की जाये. यदि ऐसा नही हुआ तो हिन्‍दू स्‍वराज्‍य सेना और अखिल भारत हिन्‍दू महासभा अपने भवन के सामने मार्ग पर मुख्‍य मंडप बनाकर यज्ञ हवन करने को बाध्‍य होगी. उन्‍होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हिन्‍दू समाज को मुस्लिम तुष्‍टीकरण की नीतियों के विरूद्ध हिन्‍दू महासभा के सशक्‍त नेतृत्व में एकजुट हो जाना चाहिए. अगर आज चूक गए तो इस देश को संभावित इस्‍लामी राष्‍ट्र बनने से कोई नही रोक पायेगा.

Thursday, August 19, 2010

क्या कुरआन सचमुच ईश्वरीय ग्रन्थ है ?

बी. एन. शर्मा

क्या कुरआन सचमुच ईश्वरीय ग्रन्थ है ?
डाक्टर ज़कारिया नायक जैसे इस्लामी विद्वान् कुरआन को अल्लाह के द्वारा प्रणीत ग्रन्थ बताते हैं .और दावा करते हैं किकुरान में लिखा एक एक शब्द अल्लाह ने मुहम्मद पर नाजिल किया है.इसलिए इसमे किसी भी प्रकार की गलती नहीं है.जबकि अन्य धर्म ग्रंथोंमे गलतिओं की भरमार है.क्योंकि वे मनुष्यों द्वारा रचित हैं.अल्लाह की किताब होने के कारण कुरआन त्रुटी रहित और प्रमाणिक है
मैं आपको कुरआन से कुछ उदाहरण दे रहा हूं ,आप स्वयं निर्णय करिए कि ज़कारिया नायक के दावे में कितनी सच्चाई है.
१--जमीन की सृष्टी के बारे में

कुरआन में कहा गया है कि अल्लाह ने जमीन को दो दिनों में बनाया था
सूरा-हां मीम सजदा ४१ आयत ९
फिर दूसरी जगह कहा गया है कि जमीन को छे दिनों मेंबनाया था
सूरा यूनुस १० आयत ३ .इनमे कौन सी बात सच है ?
२ -- फिराउन के बारे में

कुरआन में कहा गया है कि मिस्र का राजा फिराउन अपने अपराधिओं को क्रूस पर लटका कर मौत की सजा देता था .
सूरा अल आराफ ७ आयात १२४
जबकि क्रूस पर लटकाने की प्रथा रोमन लोगों ने शुरू की थी.फिराउन का काल रोमनों से तीन हजार पहिलेका है.
३-- सामरी के बारे में
कुरआन में बताया गया है कि, एक सामरी जाती के व्यक्ति ने इस्रायली लोगों को बहकाया था ,और उन लोगों को सोने के बछड़े की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था
सूरा -ताहां २० आयत ९५
जबकि उस समय सामरी लोगों का कोई अस्तित्व ही नहीं था.यह लोग काफी बरसों बाद यहूदिओं से अलग हुए थे.
४-- उजेर या एजरा के बारे में
कुरआन में उजैर के बारे में कहा गया है कि यहूदी उजैर को खुदा का बेटा मानते थे.और उसकी इबादत करते थे
सूरा तौबा -९ आयत ३०
लेकिन उजैर यहूदी धर्म में दीक्षित नहीं था.और न ही उजैर यहूदी धर्म का अनुयायी था.इसलिए उसे कहता का बेटा मानने का सवाल ही नहीं है ५ --सिकंदर के बारे में
५-- कुरआन में सिकंदर ,जिसे अरबी में जुलकरनैन भी कहा जाता,बताया गया है कि वह अल्लाह का बन्दा था .उसे अल्लाह ने सुख समृद्धी और लम्बी आयु का बरदान दिया था
सूरा कहफ़ -१८ आयत ८३.८४,९८
लेकिन सिकंदर ३५६ ई पू ३५६ में ३३ साल की आयु में भारत में बियास नदी के किनारे बीमारी से मारा गया था
६-- ईसाइयों के बारे में
कुरआन में कहा गया है कि,ईसाई तीन तीन खुदाओं को मानते हैं. खुदा ,मरियम और ईसा मसीह को.
सूरा मायदा -५ आयत ११६,और आयत ७३ से ७५
जबकि ईसाई मरियम को खुदा नहीं मानते .वे ट्रिनिटी में विश्वास रखते है इसके अनुसार ईसाई पिता परमेश्वर ,पुत्र ईसा और पवित्र आत्मा को मानते है .वे इन तीनों को ही एक ही ईश्वर की तीन विभूति मानते है .मरयम को वह संत मानते हैं .यही मुसलमान भी मानते हैं.
७-- मरियम के बारे में
कुरआन में लिखा है कि इसा की माँ मरयम हारून की बहिन थी हारून का बाप इमरान था उसके दो लड़कों का नाम मूसा और हारून था.
सूरा मरियम -१९ आयत २८ ,सूरा -आले इमरान ३ -आयत ३३,३६
लेकिन मरयम और हारून व् मूसा के काल में सैकड़ों साल का अंतर है.हारून और मूसा मरियम से काफी वर्षों पहिले पैदा हुए थे.

इस से सिद्ध होता है कि कुरआन में इतिहास से सम्बंधित कई गलतियाँ हैं अगर अल्लाह अन्तर्यामी और सर्व ज्ञाता होता तो वह ऎसी भूलें नहीं करता.
क्या जकरया नायक अब ही यह दावा करेंगे कि कुरआन में कोई गलती नहीं है ,और यह अल्लाह की किताब है
अपनी अगली पोस्ट में जकारिया नायक के दावोंका भण्डाफोड़ करूंगा .कृपया प्रतीक्षा करें


प्रस्तुति-राजीव कुमार

http://bhandafodu.blogspot.com/2010/05/blog-post_22.html

मुहम्मद के ससुर -सहाबियों का आदर्श दुश्चरित्र और महान कुकर्म !

बी. एन. शर्मा


मुहम्मद के ससुर -सहाबियों का आदर्श दुश्चरित्र और महान कुकर्म !
इस्लाम अल्लाह का पसंदीदा और सर्वश्रेष्ठ धर्म है.इसलिए अल्लाह ने इस्लाम के शुरुआती दौर में ही इस्लाम में आसानी कर दी थी .इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ती अपने सारे जीवन में एक बार भी ,चलते फिरते मुहम्मद को देख लेता था तो वह "सहाबा"यानी मुहम्मद का companion बन जाता था.और जो किसी सहाबा को देख लेता था वह "ताबीइन"बन जाता था .इसी तरह जो व्यक्ति ताबीइन को देख लेता था वह ताबये ताबीइन बन कर महान और इज्जतदार बन जाता था .धीमे धीमे ऐसे लोगों की काफी बड़ी संख्या हो गयी थी .पाहिले यह लोग मुहम्मद की पत्नी आयेशा से मिलकर मुहम्मद के बारे में जानकारियाँ जमा करते थे ,जैसे मुहम्मद ने क्या कहा ,वह क्या खाते या क्या पहिनते हैं ,आदि चूंकि मुहम्मद के ससुर अबूबकर और उमर मुहम्मद के घर के पास रहते थे ,वे पाहिले सहाबी बन गए .इन सहबियों ने मुहम्मद के बारे में में या जो भी कथन था वह लोगों तक पहुंचा दिया .इन लोगों को 'रावी "या narraator भी कहा गया है .सारी हदीसें इन लोगों के द्वारा ही कही गयी हैं .

बाद में यही लोग जिहाद के नामपर जगह जगह से माल लूटने लगे .और लूट का पांचवां हिस्सा आयेशा के घर भेजने लगे .जब यह फ़ौज बढ़ गयी तो अबूबकर ने एक चाल चली .उसने अपनी बेटी मुहम्मद की औरत को "उम्मुल मोमिनीन "यानी मुसलमानों की अम्मा का खिताब देकर सारे लोगों का नेता बना दिया .सब आयेशा की बात मानने लगे.चारों तरफ से लूट का माल आने से अबूबकर धनवान हो गया .इसी तरह उमर भी पैसे वाला बन गया .इन लोगों को सत्ता का खून लग चुका था .और उनके दिलों में बादशाह या खलीफा बनाने का लालच पैदा हो गया .

मुहम्मद को यह पता था ,लेकिन वह अपने दामाद अली को खलीफा बनाना चाहता था.मुहम्मद कयी बार लोगोंके सामने अपनी यह इच्छा प्रकट की ही .क्योंके अली एक नेक दिल इंसान थे वह भारत को शान्ति प्रिय देश मानते थे."मुहम्मद ने कहा की "अना मदीनतुल इल्म व् अलीयुन बाबुहा "मैं ज्ञान का नगर हूँ और अली उसके द्वार हैं .

जब अबूबकर और उमर को इसकी भनक पड़ी तो उन्हों ने अपनी बेटीओं आयेशा और हफ्शा के द्वारा मुहम्मद को जहर दिलवा दिया .मुहम्मद बीमार पड़ गया .जब उसे लगा की उसका अंतिम समय आने वाला है ,तो उसने अबुबकर से कहा कि जल्दी से मेरे पास कागज़ कलम लाओ .ताकि मैं अपनी वसीयत लिख दूँ जिससे बाद में कोई विवाद न हो .

देखिये -कन्जुल उम्माल -जिल्द 1 पेज 283 हदीस 939 .और बुखारी -जिल्द 7 पेज 22 और मुस्लिम जिल्द 2 पेज 14

लेकिन अबूबकर को डरथा कि कहीं मुहम्मद अली को वारिस न बनादें .उसने मुहम्मद से कहा कि या रसूल अगर आप अपनी वसीयत लिखाकर सब को बता देंगे तो आपकी यह पोल खुल जायेगी कि आप अनपढ़ हैं और कुरआन अल्लाह की किताब है .जब लोगों को पता चलेगा कि आप लिख पढ़ सकते हैं यहूदी ईसाई कहेंगे कि कुरआन मुहम्मद ने रची है .यह सुनकर मुहम्मद डर गया .और वसीयत लिखने से रुक गया .

आखिर 63 साल की आयु में दिनाक 8 जून सन 632 को मुहम्मद दुनिया से बिना वसीयत लिखे ही कूच कर गए .

आयेशा और अबूबकर से साथ उमर भी अली से नफ़रत करतेथे .इनके साथ कुरैश के कई लोग भी थे .आयेशा को अली से खतरा था .उस समय अली बसरा में थे आयेशा ने अली की ह्त्या करवाने के लिए एक भारी फ़ौज जमा कि .और अली पर हमला कर दिया आयेशा खुद अल अक्सर नाम के ऊंट पर सवार होकर लोगों को अली की ह्त्या के लिए उकसा रही थी यह युद्ध सन 656 में बसरा में हुआ था .इस युद्ध को इतिहास में "जंगे जमल"यानी ऊंटों का युद्ध कहा गया है .इसमे अली के 1070 लोग मारे गए ,लेकिन वह जीत गए

जब अली जीतकर मदीने आये तो अबूबकर और उमर ने फिर चाली .जैसी मुसलमानों की आदत होती है .इन लोगों में अली से समझौता कर लिया .और पाहिले सहाबियों को रिश्वत देकर पटा लिया .फिर कहा कि जिसके पक्ष में सबसे जादा सहाबी होंगे वे संख्या के अनुसार खलीफा बनेंगे .अली के पक्ष में सिर्फ तीन लोग आये 1 मिकदाद बिन अस्वाद 2 अबू जरार गफारी और ३सलमान फारसी

इसा तरह मक्कारी से इस्लाम की हुकूमत हो गयी .जिसे खिलाफत कहते हैं .अली का क्रम चौथा कर दिया गया .खलीफों के नाम यह हैं -

1 -अबूबकर सन 632 में बना 634 में बीमार हो कर मर गया

2 -उमर बिन खत्ताब 634 से 644 में मर गया

3 -उस्मान बिन अफ्फान 644 से 656 इसकी ह्त्या की गयी

4 -अली बिन अबूतालिब 656 से 661 इनकी भी ह्त्या की गयी थी

इसके बाद मुआविया बिन अबू सुफ़यान और फी यजीद बिन मुआविया खलीफा बने .अली को छोड़ सभी खलीफाओं ने जो जो कुकर्म किये उस से इंसानियत काँप उठी थी .आज भी इनकी औलादें और अनुयायी अरब पर राज कर रहे है ,जिन्हें वहाबी या अहले हदीस कहा जाता है .


इमाम जाफर सादिक जो सन 703 में पैदा हुए उन्होंने अपनी किताब "हयातुल कुलूब "और "हक्कुल ईमान "में इन खलीफों के बारे में जो लिखा है वह दिया जा रहा है .याद रहे इमाम जाफर मुहम्मद के वंशज है ,जो झूठ नहीं बोल सकते .

1 -आयेशा और हफ्शा ने मुहम्मद को जहर दिया था ,जिससे कुछ दिनों बाद वह मर गए. हक्कुल य -पेज 870

2 -इमाम जैनुल अबिदीन ने कहा कि अबूबकर और उस्मान काफिर हैं .हक्कुल य पेज 522

3 -जो अबूबकर और उमर को मुसलमान मानते हैं उनपर अल्लाह और रसूल की लानत है हक्कुल य पेज 680

4 -इमाम जाफर रोज अपनी फर्ज नमाजों के बाद इन लोगों पर नयमित लानत भेजते थे .अबूबकर,उस्मान ,उमर .,मुआविया ,आयेशा ,हफ्शा और मुआविया की बहिन उम्मुल हकीम पेज -342

5 -इमाम जाफर ने कहा कि सीरिया के लोग रोमनों सेजादा नीच हैं और मक्के वाले उन से अधिक ,लेकिन मदीने के लोग सबसे सत्तर गुना बदकार हैं .हयातुल कुलूब जिल्द 2 पेज 410

6 -हजार जफ़र ने कहा कि अरब की उम्मत वेश्याओं की तरह है ,जो सूअर की तरह बच्चे पैदा कर रही है अरब की उम्मत वेश्याओं की संतान है हयातुल कुलूब -पेज 337

8 -जब खालिद बिन वलीद ने मालिक इब्ने नावरिया के कबीले के सरदार को क़त्ल किया तो उसी समय सबके साने उसकी औरत से बलात्कार किया.और सरदार के सर को तंदूर में पका कर अपनी शादी का वलीमा किया था.हयातुल कुलूब -पेज 100

9 -जब मुहम्मद की औरतें खेत में शौच के लिए जाती थीं ,तो उमर उनसे गंदे इशारे करता था .हया -पेज 430

10 -शराब हराम होने के बाद भी उमर जम कर शराब पीताऔर इसी से उसकी मौत हुई थी हया-पेज 430

11 -उमर अपनी औरतों के साथ पीछे से सम्भोग करता था .anal sex .हया-पेज 432

12 -उस्मान ने अपनी पत्नी को जब वह बीमार थी ,अत्याधिक सम्भोग करके मार डाला था .जब उसकी पत्नी उम्मे कुलसुम मर गयी तो उसकी लाश से भी सम्भोग किया था .हयातुल कुलूब जिल्द 2 पेज 432

13 -सारे अहले सुन्नत बिदती और बिलाशक काफिर है .ह यकीन पेज 384



ऐसे और केई उदाहरण है .लेकिन कुछ लोग इस्लाम की यह खूबियाँ जान कर मुसलमान बन रहे है ,खिलाड़ी ,कबाड़ी ,साहित्यकार और सहत्याकार सभी ऊंट की तरह मक्के की तरफ दौड़ रहे .शायद उन्हें पता है घुसना आसान है पर निकलना असंभव है

मुस्लिम ब्लोगर अक्सर घुमाफिरा कर सेक्स पर आ जाते है .इसलिए उनके लिए इसी विषय पर जल्द ही लिखा जाएगा ..प्रतीक्षा करें

प्रस्तुति-राजीव कुमार

यह कुरआन के आदेश हैं !मान लो !वरना .....!!

बी.एन. शर्मा



यह कुरआन के आदेश हैं !मान लो !वरना .....!!


इस्लाम शान्ति का धर्म है .और मानवमात्र के कल्याण की कामना रखता है.कुरआन लोगों में भाईचारा फैलाना चाहता है.कुरान लोगों को अत्याचार और अन्याय से मुक्ति दिलाता है.ताकि विश्व के सारे लोग बिना भेदभाव के सुख शान्ति से जी सकें. इसीलिए अल्लाह ने अपने प्यारे अंतिम रसूल मुहम्मद को कुरआन देकर दुनिया में भेजा था.कि वह कुरआन का शान्ति सन्देश दुनिया भर में पहुंचा दे.और मुहम्मद के बाद यह काम मुसलमान करते रहें.

इसी कुरआन के ऊपर फ़िदा होकर लाखों लोग इस्लाम कबूल कर रहे हैं .और दुनिया के कोने कोने में शान्ति फैला रहे हैं.जैसा कि हम रोज अखबारों में पढ़ रहे हैं और टी वी में देख रहे हैं .आखिर कुरआन की शिक्षा में क्या है ,आप इसके कुछ नमूने देखिये -

1 -गैर मुसलमानों पर रौब डालो ,और उनके सर काट डालो .

काफिरों पर हमेशा रौब डालते रहो .और मौक़ा मिलकर सर काट दो .सूरा अनफाल -8 :112

2 -काफिरों को फिरौती लेकर छोड़ दो या क़त्ल कर दो .

"अगर काफिरों से मुकाबला हो ,तो उनकी गर्दनें काट देना ,उन्हें बुरी तरह कुचल देना .फिर उनको बंधन में जकड लेना .यदि वह फिरौती दे दें तो उनपर अहसान दिखाना,ताकि वह फिर हथियार न उठा सकें .सूरा मुहम्मद -47 :14

3 -गैर मुसलमानों को घात लगा कर धोखे से मार डालना .

'मुशरिक जहां भी मिलें ,उनको क़त्ल कर देना ,उनकी घात में चुप कर बैठे रहना .जब तक वह मुसलमान नहीं होते सूरा तौबा -9 :5

4 -हरदम लड़ाई की तयारी में लगे रहो .

"तुम हमेशा अपनी संख्या और ताकत इकट्ठी करते रहो.ताकि लोग तुमसे भयभीत रहें .जिनके बारेमे तुम नहीं जानते समझ लो वह भी तुम्हारे दुश्मन ही हैं .अलाह की राह में तुम जो भी खर्च करोगे उसका बदला जरुर मिलेगा .सूरा अन फाल-8 :60

5 -लूट का माल हलाल समझ कर खाओ .

"तुम्हें जो भी लूट में माले -गनीमत मिले उसे हलाल समझ कर खाओ ,और अपने परिवार को खिलाओ .सूरा अन फाल-8 :69

6 -छोटी बच्ची से भी शादी कर लो .

"अगर तुम्हें कोई ऎसी स्त्री नहीं मिले जो मासिक से निवृत्त हो चुकी हो ,तो ऎसी बालिका से शादी कर लो जो अभी छोटी हो और अबतक रजस्वला नही हो .सूरा अत तलाक -65 :4

7 -जो भी औरत कब्जे में आये उससे सम्भोग कर लो.

"जो लौंडी तुम्हारे कब्जे या हिस्से में आये उस से सम्भोग कर लो.यह तुम्हारे लिए वैध है.जिनको तुमने माल देकर खरीदा है ,उनके साथ जीवन का आनंद उठाओ.इस से तुम पर कोई गुनाह नहीं होगा .सूरा अन निसा -4 :3 और 4 :24

8 -जिसको अपनी माँ मानते हो ,उस से भी शादी कर लो .

"इनको तुम अपनी माँ मानते हो ,उन से भी शादी कर सकते हो .मान तो वह हैं जिन्होंने तुम्हें जन्म दिया .सूरा अल मुजादिला 58 :2

9 -पकड़ी गई ,लूटी गयीं मजबूर लौंडियाँ तुम्हारे लिए हलाल हैं .

"हमने तुम्हारे लिए वह वह औरते -लौंडियाँ हलाल करदी हैं ,जिनको अलाह ने तुम्हें लूट में दिया हो .सूरा अल अह्जाब -33 :50

10 -बलात्कार की पीड़ित महिला पहले चार गवाह लाये .

"यदि पीड़ित औरत अपने पक्ष में चार गवाह न ला सके तो वह अलाह की नजर में झूठ होगा .सूरा अन नूर -24 :१३

11 -लूट में मिले माल में पांचवां हिस्सा मुहम्मद का होगा .

"तुम्हें लूट में जो भी माले गनीमत मिले ,उसमे पांचवां हिस्सा रसूल का होगा .सूरा अन फाल- 8 :40

12 -इतनी लड़ाई करो कि दुनियामे सिर्फ इस्लाम ही बाकी रहे .

"यहांतक लड़ते रहो ,जब तक दुनिया से सारे धर्मों का नामोनिशान मिट जाये .केवल अल्लाह का धर्म बाक़ी रहे.सूरा अन फाल-8 :39

13 -अवसर आने पर अपने वादे से मुकर जाओ .

"मौक़ा पड़ने पर तुम अपना वादा तोड़ दो ,अगर तुमने अलाह की कसम तोड़ दी ,तो इसका प्रायश्चित यह है कि तुम किसी मोहताज को औसत दर्जे का साधारण सा खाना खिला दो .सूरा अल मायदा -5 :89

14 - इस्लाम छोड़ने की भारी सजा दी जायेगी .

"यदि किसी ने इस्लाम लेने के बाद कुफ्र किया यानी वापस अपना धर्म स्वीकार किया तो उसको भारी यातना दो .सूरा अन नहल -16 :106

15 - जो मुहम्मद का आदर न करे उसे भारी यातना दो

"जो अल्लाह के रसूल की बात न माने ,उसका आदर न करे,उसको अपमानजनक यातनाएं दो .सूरा अल अहजाब -33 :57

16 -मुसलमान अल्लाह के खरीदे हुए हत्यारे हैं .

"अल्लाह ने ईमान वालों के प्राण खरीद रखे हैं ,इसलिए वह लड़ाई में क़त्ल करते हैं और क़त्ल होते हैं .अल्लाह ने उनके लिए जन्नत में पक्का वादा किया है .अल्लाह के अलावा कौन है जो ऐसा वादा कर सके .सूरा अत तौबा -9 :111

17 -जो अल्लाह के लिए युद्ध नहीं करेगा ,जहन्नम में जाएगा .

"अल्लाह की राह में युद्ध से रोकना रक्तपात से बढ़कर अपराध है.जो युद्ध से रोकेंगे वह वह जहन्नम में पड़ने वाले हैं और वे उसमे सदैव के लिए रहेंगे .सूरा अल बकरा -2 :217

18 -जो अल्लाह की राह में हिजरत न करे उसे क़त्ल करदो

जो अल्लाह कि राह में हिजरत न करे और फिर जाए ,तो उसे जहां पाओ ,पकड़ो ,और क़त्ल कर दो .सूरा अन निसा -4 :89

19 -अपनी औरतों को पीटो.

"अगर तुम्हारी औरतें नहीं मानें तो पहले उनको बिस्तर पर छोड़ दो ,फिर उनको पीटो ,और मारो सूरा अन निसा - 4 :34

20 -काफिरों के साथ चाल चलो .

"मैं एक चाल चल रहा हूँ तुम काफिरों को कुछ देर के लिए छूट देदो .ताकि वह धोखे में रहें अत ता.सूरा रिक -86 :16 ,17

21 -अधेड़ औरतें अपने कपडे उतार कर रहें .

"जो औरतें अपनी जवानी के दिन गुजार चुकी हैं और जब उनकी शादी की कोई आशा नहीं हो ,तो अगर वह अपने कपडे उतार कर रख दें तो इसके लिए उन पर कोई गुनाह नहीं होगा .सूरा अन नूर -24 :60



हमें समझ में नहीं आ रहा है कि जब कुरआन में इतनी अच्छी बाते बताई गयी हैं ,जिस से विश्व का कल्याण हो सकता है ,तो कुछ मूर्ख कुरआन का विरोध करके उसे जलाने की बातें क्यों कर रहे है .पूरी दुनिया कुरआन और इस्लाम के खिलाफ क्यों होती जा रही .है .क्या लोग नहीं जानते कि यह अल्लाह की किताब है .और उसके मानने वाले मुसलमान भोले भाले शरीफ लोग है ,जो दुनिया में सिर्फ शांन्ति ही फैला रहे हैं


पता चला हैकि 11 सितम्बर 2010 को फ्लोरिडा में विश्व कुरआन जलाओ दिवस मनाया जाएगा .यह एक निदनीय कार्य है .हम इसका विरोध करते हैं .क्योंकि लाखों कुरानें जलाने से वातावरण प्रदूषित होगा .

प्रस्तुति-राजीव कुमार