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Friday, February 18, 2022

सच बोलना बागीपन है तो समझो हम बागी हैं - रविन्द्र द्विवेदी


    स्वामी त्रिदंडी जी महाराज ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी अथवा किसी भी पदाधिकारी से विचार विमर्श किये बिना  स्वयं अपने हस्ताक्षरों  अखिल भारत हिन्दू महासभा की राज्यश्री चौधरी को निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वीकार करते हुए अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व छोड़ने का एक पत्र भारतीय निर्वाचन आयोग में 7 जनवरी 2019 को देकर हिन्दू महासभा में अपना अस्तित्व विलुप्त कर देते है । वो राज्यश्री चौधरी से आग्रह करते हैं कि इस पत्र को सार्वजनिक न किया जाए अन्यथा  रविन्द्र कुमार द्विवेदी और अन्य समर्पित कार्यकर्ता  उनके विरूद्ध विद्रोह कर देंगे और उन्हें चैन से नही बैठने देंगे । राज्यश्री चौधरी ने स्वामी त्रिदंडी जी महाराज को वचन दे दिया । स्वामी त्रिदंडी जी महाराज ने अपने ही राष्ट्रीय पदाधिकारियों से छल किया और पत्र की वास्तविकता छिपाकर उन्हें गुमराह करके पद लोलुपता में लिप्त रहे । न्यायालय को भी गुमराह करते हुए स्वयं को वास्तविक राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित करवाने के लिए वाद दायर करने का  अपराध किया । एक फरवरी को नई दिल्ली  में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में स्वामी त्रिदंडी जी महाराज का पत्र सार्वजनिक हुआ तो देश स्वामी के छल से अवगत हुआ और उनका हिन्दू महासभा में वर्चस्व समाप्त मान लिया गया ।
      स्वामी त्रिदंडी जी महाराज के नेतृत्व वाली हिन्दू महासभा का अस्तित्व शून्य हो जाने से संगठनात्मक योगदान के प्रति नकारात्मक छवि रखने वाले  चापलूसी के आधार पर पदासीन  पदाधिकारियों को अपने अपने पदों को चिंता सताने लगी । राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी और उनके समर्थकों ने देश के हिन्दू महासभाइयों के सामने स्वामी त्रिदंडी जी का वास्तविक सत्य प्रकट किया तो देश भर के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने स्वामी जी का साथ छोड़कर रविन्द्र कुमार द्विवेदी के सशक्त नेतृत्व में एकजुटता दिखाने लगे तो चापलूसी से पद हासिल करने वाले पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर अनर्गल प्रलाप करते हुए स्वामी जी जी को अपमानित करने और उनके प्रति अपशब्दों का प्रयोग करने का छ्द्म आरोप लगाने का दुस्साहस करने लगे । लेकिन उनके पास अपने तर्क को प्रमाणित करने का एकाध प्रमाण भी उपलब्ध नही होता है । वो दिल्ली के जिला स्तर के पदाधिकारियों के प्रश्नों के सामने निरूत्तर होकर बगले झांकने पर विवश हो होकर किसी भी तर्क कुतर्क की आड़ में वाद विवाद से पलायन कर जाते हैं ।संत का अपमान और उनके लिए अपशब्द कहने का छ्द्म आरोप चिल्लाकर कहने और शोर मचाने  मात्र से  सत्य में परिवर्तित नही हो सकता , वरन उनके चिल्लाने या शोर मचाने  से  कार्यकर्ताओं को उनकी हास्यपद स्थिति का अनुमान सहज ही प्राप्त हो जाता है ।
       एक फरवरी 2022 की बैठक को निरस्त करवाने में असफल होने पर स्वामी त्रिदंडी जी ने राष्ट्रीय कार्यालय मंत्री अधिवक्ता संजया शर्मा को फोन पर कहा - " रविन्द्र द्विवेदी को कहिये कि वो तीन महीने शांत बैठ जाए । हम उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऋषि त्रिवेदी के साथ मिलकर हिन्दू महासभा के नाम से 20 - 25 करोड़ रुपये कमाने वाले हैं । रविन्द्र द्विवेदी हमे ये सब नही करने देगा । उसे समझाइए और कहिये की 3 महीना उनके शांत रहने के बाद हम उन्हें फिर से राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना देंगे । "
              हिन्दू महासभा से चुनाव लड़वाने की स्वामी त्रिदंडी जी की घोषणा एक फरवरी की बैठक में स्वामी के पत्र का सत्य उजागर होने के बाद चुनाव की नामांकन प्रक्रिया से ठीक पहले एक फरेब सिद्ध हुआ । स्वामी जी के इशारे पर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को बिना शर्त समर्थन पत्र देकर चुनाव लड़ने और विधायक बनकर विधानसभा में हिन्दू महासभा का परचम लहराने की तैयारियों में जुटे संभावित प्रत्याशियों की इच्छाओं का गला घोंट दिया गया । क्या यह सब हिन्दू महासभा के राजनीतिक अस्तित्व को समाप्त करने की दिशा में  साजिश तो नहीं ? क्या भाजपा से स्वामी जी की 20 - 25 करोड़ की डील तो नही हुई , जिसका जिक्र स्वामी त्रिदंडी जी ने अधिवक्ता संजया शर्मा से फोन वार्ता में किया था ? भाजपा अच्छी तरह जानती है कि हिन्दू महासभा के दो चार विधायक भी जीत कर सदन में पहुंचते है तो भाजपा की संभावित सरकार की मनमानी और हिटलरशाही पर न केवल प्रतिबन्ध लगा देगी , वरन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में अपने विधायको के बल पर शामिल होकर अपना गौरव हासिल कर लेगी । ऐसा न हो , इसलिए क्या वास्तव में स्वामी त्रिदंडी जी और भाजपा के मध्य कोई डील हुई ? क्या कारण है कि 25 सितम्बर की नेमिषारण्य बैठक में अयोध्या विधानसभा से चुनाव लड़ने का उद्घोष करने वाले स्वामी त्रिदंडी जी भाजपा का मार्ग प्रशस्त करने और हिन्दू महासभा को राजनीतिक रूप से अशक्त बनाने के षड्यंत्र को सफल बनाने के लिए चुनाव मैदान से हट जाते हैं ? अयोध्या में उनकी जीत सुनिश्चित होने के बावजूद भी चुनाव मैदान से स्वामी त्रिदंडी जी का पलायन कही भाजपा और उनके बीच किसी डील का परिणाम तो नही ?
     हम सत्य देश भर के हिन्दू महासभाइयों के सामने निर्भीकता से प्रकट कर रहे है  , इसलिए  चापलूस पदाधिकारियों द्वारा स्वामी त्रिदंडी के समक्ष चापलूसी की अद्भुत मिशाल दिखाने के लिए वास्तविक सत्य को उनके अपमान और अपशब्दों से जोड़ने का शोर मचा रहे हैं । वास्तविकता में स्वामी त्रिदंडी जी महाराज के लिए अभी तक किसी भी हिन्दू महासभाई ने न तो अपशब्दों का प्रयोग किया है और न ही उनका किसी भी प्रकार से अपमान किया है । सत्य से स्वामी जी के चापलूस पदाधिकारी भी अवगत हैं , किन्तु उनका पद मोह सत्य को स्वीकारने के मार्ग में बेड़ियां बन गया है । सत्यमार्गियों के विषय मे  उनके पास  व्यक्तिगत जीवन पर आक्षेप करने एवं अभद्र भाषा से अपनी विद्वता का परिचय देने के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नही रह गया है । यदि कोई कार्य होता तो इन सब के लिए उनके पास अवकाश कहाँ होता ? करते रहो व्यक्तिगत जीवन पर आक्षेप और अभद्र भाषा का प्रयोग । सत्यमार्गी अपने पथ पर अटल रहेंगे और अखिल भारत हिन्दू महासभा में शामिल भाजपा पोषित नेताओं के चंगुल से हिन्दू महासभा को सदैव के लिए मुक्त करवाकर इसके राजनीतिक वर्चस्व को स्थापित करेंगे । अंत मे केवल इतना ही कि सच बोलना बागीपन है तो समझो हम बागी हैं ।

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